राजस्थान में भाजपा के विधायकों और नेताओं में अब अपनी ही सरकार और संगठन की कार्यशैली को लेकर नाराजगी उभरने लगी है। वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी तो लंबे अरसे से अपनी ही सरकार के साथ ही संगठन को निशाने पर ले रहे हैं, पर अब अन्य विधायक भी अपनी पीड़ा खुल कर जताने लगे हैं। सरकार के कई मंत्री तो ढंग से काम नहीं कर पाने का ठीकरा नौकरशाही और भ्रष्टाचार पर फोड़ कर अपनी सफाई पेश करने पर उतर आए हैं।राज्य में शासन के करीब तीन साल पूरे करने वाली भाजपा सरकार अब अपनों के ही निशाने पर आने लग गई है। प्रदेश में चुनावों में अभी दो साल बाकी है, पर विधायकों को चिंता सताने लगी है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की कसौटी पर भी प्रदेश सरकार खरी नहीं उतर रही है। इससे केंद्रीय नेतृत्व चिंतित है और राज्य सरकार के कामकाज के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं की नाखुशी पर गंभीरता से गौर कर रहा है।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को राजस्थान के बारे में लगातार शिकायतें मिल रही हैं। भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद शाह प्रदेश के मामलों की समीक्षा करने की तैयारी में भी जुट गए हैं। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर के अलावा कई नेता भी राजस्थान में सत्ता और संगठन के कामकाज से नाखुश हैं। केंद्र सरकार की कई अहम योजनाओं पर राजस्थान में तेज गति से काम नहीं होने को भी राष्ट्रीय नेतृत्व ने गंभीर माना है। इसके साथ ही प्रदेश में तीन साल में एक भी बड़ी विकास योजना नहीं बनने से भी भाजपा सरकार की छवि आम जनता में बिगड़ी है। भाजपा नेतृत्व के निर्देश पर हाल में पार्टी शासित मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों की साझा बैठक में इन राज्यों में गरीब कल्याण योजनाओं के बेहतर अमल पर कार्ययोजना भी बनाई गई है। इस बैठक में राजस्थान को शामिल नहीं करने से भी केंद्रीय नेतृत्व की नाराजगी सामने आई है।
प्रदेश भाजपा में सबसे ज्यादा मुखरता से पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी खुल कर मौजूदा सत्ता और संगठन के नेतृत्व की कार्यशैली पर निशाना साध रहे है। आरएसएस से जुडे तिवाड़ी का अब संघनिष्ठ नेता भी साथ देने लग गए हैं। तिवाड़ी का साफ कहना है कि राजस्थान में भाजपा का संगठन पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है और प्रदेश में संगठन सिर्फ एक व्यखित का बन कर रह गया है। उनका इशारा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की तरफ है। तिवाड़ी इन दिनों दीनदयाल उपाध्याय वाहिनी बना कर विचारधारा से जुडेÞ भाजपाइयों के बीच मुहिम चला रहे हैं। उनका साफ कहना है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है। मंत्रियों और संगठन को नहीं पूछा जा रहा है। रिटायर अफसरों और प्रदेश के बाहरी लोगों की सलाह पर शासन चलाया जा रहा है। इससे ही सरकार ने भाजपा विचारधारा को पूरी तरह से खत्म कर दिया है।

विचार संगठन संघ परिवार को हर मामले में दूर रखा जा रहा है। संगठन तो पूरी तरह से नकारा साबित हो गया है। उन्होंने कहा कि आगामी 25 दिसंबर को दीनदयाल उपाध्याय की शताब्दी वर्ष को संकल्प दिवस के तौर पर मनाया जाएगा।  तिवाड़ी के बाद अब भाजपा के चार बार से विधायक बनते आ रहे ज्ञानदेव आहूजा ने भी सरकार की कार्यशैली पर नाखुशी जताई है। उनका कहना है कि प्रदेश में कई विधायकों के मन में रोष है, पर वे तिवाड़ी की तरह बोल नहीं पाते हैं। उन्होंने तिवाड़ी को सलाह के तौर पर यह भी कहा कि उन्हें पार्टी में ही रह कर सरकार और संगठन को ठीक करना चाहिए। भाजपा के ही विधायक मानवेंद्र सिंह को पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली बुला कर कई मामलों की जानकारी भी ली थी। इससे भी प्रदेश भाजपा में खलबली मची हुई है। विधायकों और नेताओं की सरकार के प्रति नाराजगी पर संसदीयकार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ का कहना है कि भाजपा अनुशासित पार्टी है। उन्होंने राजमहल प्रकरण पर कहा कि अब यह खत्म हो गया है।