राजस्थान के कोटा में एक प्राइवेट स्कूल में कक्षा दो की किताब में उर्दू शब्द को लेकर विवाद शुरू हो गया है। स्कूल पर आरोप लग रहा है कि वहां गैर मुस्लिम बच्चों को पापा-मम्मी की जगह अब्बू-अम्मी बोलना सिखाया जा रहा है। बच्चों के परिजनों ने आरोप लगाए हैं कि कक्षा दो के बच्चों को अम्मी-अब्बू, फारुख, बिरयानी जैसे शब्द सिखाए जा रहे हैं और बच्चे घर आकर उसी अनुसार बाते कर रहे हैं।

बच्चों के परिजनों ने कहा कि ये लोग कैसी शिक्षा दे रहे है और यह लोग कहते हैं कि हफ्ते में एक दिन बिरयानी लाओ। परिजनों ने पूछा कि बच्चों को अम्मी-अब्बू बोलने के पैसे खर्च किये जा रहे हैं? परिजनों ने कहा कि हम गरीब लोग हैं और पेट काट कर बच्चों को पढ़ाते हैं। लेकिन क्या इस शिक्षा के लिए हम अपने बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं। परिजनों ने कहा कि हम चाह जाए तो स्कूल बंद हो जाए लेकिन हम ऐसा नहीं चाहते।

बच्चों के परिजनों ने बजरंग दल से इसकी शिकायत की है और बजरंग दल ने इसको लेकर शिक्षा विभाग से आपत्ति दर्ज कराई है। कक्षा दो कि यह विवादित किताब हैदराबाद प्रकाशन ने छापी है और इसमें कुल 113 पेज हैं, जिसकी मूल्य 352 रुपये है।

बजरंग दल के सह प्रान्त संयोजक योगेश रनेवाल ने मीडिया को बताया कि 12 जुलाई को कोटा के विभिन्न विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता के फोन आ रहे थे और वो स्कूल की शिकायत कर रहे थे। परिजन स्कूल में पढ़ाई जाने वाली किताब में एक धर्म से जुड़े शब्दों के होने की शिकायत कर रहे थे। इसी जांच के लिए हमने स्टेशनरी की दुकान से वह किताब खरीदी जिसका नाम गुलमोहर (लैंग्वेज फॉर लाइफ) है।

वहीं योगेश रनेवाल ने बताया कि इसी किताब के छठे पाठ में (पेज 20) बताया गया है कि पेरेंट्स बिरयानी बना रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बच्चों को इस्लामी और मांसाहारी खाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। रनेवाल ने कहा कि ऐसी किताबों पर प्रतिबन्ध लगना चाहिए क्योंकि इससे इस्लामीकरण बढ़ रहा है।