जयपुर की ओपन एयर जेल में बंद एक दंपति को IVF तकनीक से बच्चा पैदा करने की ख्वाहिश थी। वो अपनी दरखास्त लेकर राजस्थान हाईकोर्ट के पास पहुंचे लेकिन वहां से उनकी रिट खारिज कर दी गई। उसके बाद दंपति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। शीर्ष अदालत ने दोनों की बात को ध्यान से सुनकर फैसला दिया कि दोनों को वैसा माहौल उपलब्ध कराया जाए जिससे व अपने मन की ख्वाहिश को पूरी कर सकें।
महिला को पहली शादी से हैं दो बच्चे
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके महेश्वरी की बेंच ने अथॉरिटीज को आदेश दिया कि दोनों को उदयपुर की ओपन एयर जेल में शिफ्ट किया जाए। दोनों पैरोल के लिए आवेदन करते हैं तो कोर्ट उनकी दरखास्त पर नरम रुख रखते हुए दो सप्ताह के भीतर अपना फैसला दे। इस मामले में महिला की उम्र 45 साल है। उसके पहली शादी से दो बच्चे हैं। एकर की उम्र 23 साल की है जबकि दूसरे की 16। उसने आर्य समाज मंदिर में फिर शादी की थी।
पैरोल पर बाहर आने के बाद की थी शादी
मामले के मुताबिक पति पत्नी दोनों ही उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। दोनों ने शादी तब की थी जब वो पैरोल पर जेल से बाहर गए थे। राजस्थान हाईकोर्ट में उन्होंने पहले अपनी अर्जी दायर की थी। जस्टिस पंकज भंडारी और अनूप कुमार की बेंच ने उनकी याचिका को ये कहकर रिजेक्ट कर दिया था कि महिला के पहले से दो बच्चे हैं। ऐसे में इस मामले में तुरंत फैसला लेने की कोई जरूरत नहीं है।
महिला के पहले से हैं दो बच्चे, हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी रिट
हाईकोर्ट का ये भी कहना था कि महिला ने दूसरी शादी आर्य समाज मंदिर में की है। ये शादी रजिस्टर्ड नहीं है। राजस्थान प्रिजनर्स पैरोल रूल्ज 2021 के तहत ये प्रावधान है कि तुरंत पैरोल उन मामलों में दी जा सकती है जहां मानवीय पहलू जुड़ा हो। महिला के पहले से दो बच्चे हैं लिहाजा याचिका को खारिज किया जाता है।
लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनूप कुमार की बेंच ने कहा कि इस मामले में मानवीय पहलू है। दंपति को पूरा अधअधिकार है कि वो पैरोल के लिए याचिका दायर कर सकता है। अदालत को भी चाहिए कि मानवीय पहलू को देखकर दो सप्ताह के भीतर उनकी ययाचिका पर फैसला दे। इस मामले में रिस्पांडेंट नंबर 1 उदयपुर के गीतांजलि अस्पताल में पहले से उपचार ले रही है।