राजस्थान के राजगढ़ में प्रशासन की ओर से बुलडोजर से की गई घरों और मंदिर पर तोड़फोड़ के खिलाफ स्थानीय जनता धरने पर हैं और इस कार्यवाही के खिलाफ मुआवजे की मांग कर रही है। वहीं, इस जब तोड़फोड़ का जायजा लेने जिले के डीएम आए, तो धरने पर बैठे लोगों ने उनसे मिलने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने लोगों पर लाठियां भांजी।
दादागिरी कर रहा है प्रशासन: मुआवजे की मांग कर रहे लोगों ने इसे प्रशासन की दादागिरी बताया। इसके साथ आरोप लगाया कि राजगढ़ प्रशासन डीएम और अन्य बड़े अधिकारियों को बुलडोजर से जहां कार्यवाही हुई उसके विपरीत साइट दिखा रहे थे, जिसका हमने विरोध किया।
स्थानीय निवासी दिनेश प्रधान ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि “आज डीएम साहब साइट देखने आए थे लेकिन स्थानीय प्रशासन उन्हें गुमराह कर रहा था। नगर पालिका से खरीदी गई जमीन पर दुकान के मालिक देशबंधू जोशी ने जब बड़े अधिकारियों से मिलने की कोशिश कर रहे थे। तब पुलिस की ओर से उन्हें गाड़ी में भर लिया गया”
इसके साथ लोगों के आरोप लगाया कि नगर पालिका पहले ही कह चुका है। उनकी तरफ से घरों को तोड़ने का कोई भी आदेश नहीं जारी किया था लेकिन एसडीएम ने मनमानी दिखाते हुए मास्टरप्लान के तहत तोड़फोड़ की।
गौरतलब है कि अलवर के राजगढ़ में प्रशासन की ओर से घरों के साथ एक 250 साल पुराने मंदिर को भी तोड़ दिया था। जिसके बाद बवाल मच गया था। इस कार्यवाही पर मंदिर प्रशासन ने कहना था कि प्रशासन ने इसे अतिक्रमण बता कर तोड़ा है। इसके साथ शिवलिंग को कटर से काटकर निकाला गया है। पूरे मामले पर मंदिर प्रशासन ने कांग्रेस विधायक समेत तीन पुलिसवालों पर केस दर्ज कराया था।
सरकार ने तीन लोगों को किया ससपेंड: अलवर प्रकरण पर कार्यवाही करते सोमवार देर रात राजस्थान सरकार की ओर से तीन लोगों को ससपेंड किया गया है। इनमें राजगढ़ उपखंड अधिकारी केशव मीणा, नगरपालिका ईओ बनवारी लाल मीणा और नगरपालिका अध्यक्ष सतीश दुहारिया का नाम शामिल है।