कुछ समय से राजनीतिक पटल से दूर चल रहीं राजस्थान बीजेपी की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे एक बार फिर से एक्टिव मोड में आ गयी है। साल 2023 में भाजपा के शीर्ष नेताओं द्वारा भजन लाल शर्मा को राजस्थान का मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद से लगभग गायब चल रहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अब अज्ञातवास से बाहर आ गई हैं। भाजपा-आरएसएस के शीर्ष नेताओं के साथ उनकी हालिया बैठकों ने उनकी ‘राजनीतिक वापसी’ की अटकलों को हवा दे दी है।

सबसे ज़्यादा चर्चा इस महीने की शुरुआत में संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक के लिए जोधपुर आए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से वसुंधरा की लगभग 30 मिनट की मुलाक़ात की रही। सूत्रों के अनुसार, उस मुलाक़ात के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने नागपुर में आरएसएस के शीर्ष नेताओं से भी मुलाक़ात की। राजस्थान में पिछले साल हुए विधानसभा उपचुनाव में सात में से पांच सीटों पर भाजपा की जीत के बाद राजे ने सभी पार्टी विधायकों से मुलाकात की जिसे उनकी वापसी के इरादे के रूप में देखा जा रहा है।

क्या है वसुंधरा राजे की बातचीत का उद्देश्य?

राजस्थान मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना के बीच भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि वसुंधरा राजे की बातचीत का उद्देश्य अपने वफादारों के लिए मंत्रिमंडल में जगह सुनिश्चित करना है। एक सूत्र ने बताया, “भजन लाल सरकार की छवि को धक्का लगने के कारण विधायकों की ओर से असंतोष के स्वर उठ रहे हैं। ऐसे में पार्टी मालवीय नगर विधायक कालीचरण सराफ और निम्बाहेड़ा विधायक श्रीचंद कृपलानी जैसे राजे के वफादारों को मंत्रिमंडल में जगह देने की कोशिश कर रही है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के साथ वसुंधरा की बैठकें इसी सिलसिले में हो रही हैं।” हाल ही में संपन्न संसद के मानसून सत्र के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी।

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वहीं, एक अन्य सूत्र ने मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल की अफवाहों को खारिज कर दिया। सूत्र ने कहा, “भजन लाल शर्मा पीएम मोदी और अमित शाह की पसंद हैं और वे पद पर बने रहेंगे। वे बिना किसी सवाल के दिल्ली के निर्देशों का पालन करते हैं। हालांकि, राजे को राष्ट्रीय भूमिका के लिए विचार किया जा सकता है।”

वसुंधरा राजे के मोदी सरकार के साथ रिश्ते कभी भी सहज नहीं रहे

वसुंधरा राजे के मोदी सरकार के साथ रिश्ते कभी भी सहज नहीं रहे। पहली बार विधायक बने भजन शर्मा को भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री पद के लिए चुने जाने के बाद यह और भी बदतर हो गए। मुख्यमंत्री पद पर वापसी की उम्मीदों से नाराज़ राजे ने पार्टी की बैठकों में हिस्सा नहीं लिया और भाजपा की स्टार प्रचारक घोषित होने के बावजूद, राज्य में हुए सात विधानसभा उपचुनावों या पिछले साल हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों में प्रचार नहीं किया।

पिछले महीने धौलपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, “वनवास सिर्फ श्री राम की जिंदगी का हिस्सा नहीं है। हर इंसान के जीवन में वनवास आता है और जाता भी है।” जहां कई लोगों ने उनके संदेश को उनके समर्थकों के लिए आश्वासन के रूप में देखा, वहीं अन्य लोगों ने इसे इस संकेत के रूप में बताया कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है।

भाजपा द्वारा अभी तक राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के स्थान पर किसी और के नाम को अंतिम रूप नहीं दिए जाने के कारण, उनके समर्थक अनुमान लगा रहे हैं कि वसुंधरा राजे इस पद के लिए दावेदारी पेश कर सकती हैं। हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि ज़्यादा संभावना यह है कि वे अपने बेटे और झालावाड़-बारां से सांसद दुष्यंत सिंह के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बनाने की पैरवी करेंगी ।

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