Rajasthan Politics: राजस्थान की राजनीति में मचे बवाल के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि विधायकों की बगावत से उनका कोई लेना देना नहीं है। हालांकि, गांधी परिवार ने भी उनसे नाराजगी जताई है। उनका मानना है कि गहलोत की सहमति के बिना विधायक यह कदम नहीं उठा सकते हैं। गहलोत खेमे के 90 विधायकों की बगावत के बाद उन्हें पार्टी के अध्यक्ष पद पर काबिज होना पड़ सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे रविवार को विधायक दल की बैठक के लिए जयपुर में थे। इस दौरान अशोक गहलोत ने उनसे माफी मांगी। सूत्रों ने कहा कि विधायकों की समानांतर बैठक और उनके विद्रोह को एक गलती बताते हुए गहलोत ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है।
हालांकि, खड़गे ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गहलोत की सहमति के बिना ऐसा विद्रोह नहीं हो सकता था। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अशोक गहलोत अपना नामांकन दाखिल करने वाले हैं। राजस्थान में चल रहे सियासी संकट के बीच संभावित उम्मीदवार कमलनाथ दिल्ली पहुंचे और सोनिया गांधी से मुलाकात की। समाचार एजेंसी एएनआई ने कमलनाथ के हवाले से कहा, “मुझे (कांग्रेस) अध्यक्ष पद में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं सिर्फ नवरात्रि की शुभकामनाएं देने के लिए आया हूं।”
वहीं, गहलोत खेमे के विधायकों ने सामूहिक इस्तीफे की धमकी देते हुए कहा कि अगर अशोक गहलोत को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाता है, तो वह सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार नहीं करेंगे। विधायकों का कहना था कि गहलोत अध्यक्ष और सीएम दोनों पद एकसाथ संभाल सकते हैं। अपने इस फैसले पर अड़े बगावती विधायकों ने कल मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन के साथ बैठक में शामिल होने से भी इनकार कर दिया था। इसके बाद दोनों नेता विधायकों को दिल्ली वापस लौटना पड़ा। इसे लेकर सूत्रों ने टीम गहलोत पर केंद्रीय नेताओं को अपमानित करने का आरोप लगाया।
बता दें कि अध्यक्ष पद की रेस में अशोक गहलोत का नाम सामने आने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संकेत दिए थे कि अगर गहलोत पार्टी की कमान संभालेंगे तो उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना होगा।