Rajasthan News: इस बार के मानसून में भारत के कई इलाकों में भारी बारिश देखने को मिली है। राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों में तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण एक प्रमुख नदी ‘लूणी’ के लबालब होने से स्थानीय लोगों में उत्साह है। उन्होंने नदी की पूजा कर राजस्थान की कथित गंगा नदी में पानी आने पर खुशी जाहिर की है।
बता दें कि इस बार पश्चिमी राजस्थान में जमकर बारिश हुई है, जिसके चलते लोगों के चेहरों पर खुशी देखने को मिली है। स्थानीय लोगों के अनुसार पांच साल में दूसरी बार है, जब अजमेर से निकलने वाली नदी ने बाड़मेर में अपने पूरे उफान पर है। जैसे ही नदी में पानी आया, कई जगहों पर लोगों ने उसे चुनरी ओढ़ाकर और पूजा-अर्चना करके नदी में पानी आने का स्वागत किया।
राजस्थान की गंगा कहलाती है लूणी नदी
इसके अलावा जैसलमेर के सोनार किले की दीवार का एक हिस्सा पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण ढह गया है, जिससे किले में रहने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। गौरतलब है कि लूणी नदी को राजस्थान की गंगा या ‘मरू गंगा’ के नाम से भी जाना जाता है। यह अजमेर में अरावली पर्वतमाला की नाग पहाड़ी से निकलती है और गुजरात के कच्छ के रण में मिलने से पहले राजस्थान के नौ जिलों से गुजरती है।
एक स्थानीय विशेषज्ञ के अनुसार मौजूदा हालात में नदी का पानी भारी बारिश के बावजूद बाड़मेर तक नहीं पहुंच पाता है, लेकिन बुधवार को नदी के पानी ने बाड़मेर जिले के समदड़ी क्षेत्र में प्रवेश किया, तो सैकड़ों ग्रामीण बहती नदी का स्वागत करने के लिए इकट्ठा हो गए। नदी के आने पर जश्न मनाते हुए महिलाओं ने लोकगीत गाए, जबकि पुरुष ढोल की थाप पर जमकर डांस किया है।
लोगों ने की पूजा अर्चना
लोगों का मानना है कि नदी का प्रवाह पूरे क्षेत्र के लिए बहुत शुभ है। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और अन्य लोगों ने हाथ में ‘चुनरी’ ली और पूजा की। कुछ अन्य स्थानों पर भी इसी तरह के दृश्य देखे गए, जहां लोगों ने मंत्रोच्चार के बीच नदी की पूजा की। विशेषज्ञों के अनुसार लोगों का यह उत्साह एक तरह से रेगिस्तानी इलाके में पानी के महत्व को रेखांकित करता है, जहां लोगों को सीमित पानी के साथ रहना पड़ता है और गर्मी के मौसम में पानी की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है।
स्थानीय ग्रामीण गोपाराम ने कहा कि पिछले साल भी पानी आया था, लेकिन वह सब बर्बाद हो गया था उसका सही इस्तेमाल नहीं हो सका था। गोपाराम ने कहा कि अगर इस पानी को बचाने या संग्रहित करने की योजना बनाई जाती है तो यह किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है। वैसे यह प्रवाह आसपास के क्षेत्र में भूमिगत जल स्तर को भी बढ़ाएगा, जो पानी की कमी और औद्योगिक अपशिष्ट से तबाह हो चुकी खेती में मददगार साबित होगा।
नदी का रहा है प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व
इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज की जोधपुर ब्रांच के संयोजक महेंद्र सिंह तंवर ने कहा कि लूणी नदी का इस क्षेत्र में लंबे समय से बहुत बड़ा प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व रहा है। उन्होंने कहा कि लेकिन लगभग एक दशक से अनदेखी समेत विभिन्न कारकों के चलते नदी के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि नदी गुजरात के कच्छ के रण में समाप्त होने तक लगभग 495 किलोमीटर की यात्रा करती है।
तंवर ने कहा कि इसमें से नदी राजस्थान में अजमेर, नागौर, जोधपुर, पाली, जालौर और बाड़मेर जिलों से होकर 350 किलोमीटर की यात्रा करती है, लेकिन आज यह मुश्किल से बाड़मेर तक पहुंच पाती है और वह भी भारी बारिश के दौरान। स्थानीय निवासियों ने बताया कि कई छोटी नदियां लूणी नदी में मिलती हैं। इस बीच, जैसलमेर जिले में भारी बारिश के कारण मंगलवार को सोनार किले का एक हिस्सा ढह गया।
हालांकि, कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। नगर परिषद के आयुक्त लाजपाल सिंह ने कहा कि दीवार का एक छोटा हिस्सा ही गिरा है, लेकिन एहतियात के तौर पर हमने रोड पर एक तरफ आवाजाही रोक दी है, ताकि सड़क पर पत्थर गिरने की स्थिति में किसी को चोट न पहुंचे।