यूनिफाइड पेंशन स्कीम लॉन्च होने के साथ ही सियासत भी शुरू हो गई है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि बीजेपी सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वो राज्य के कर्मचारियों के फायदे कि लिए ओपीएस लागू करेगी या यूपीएस।
कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा यूपीएस के ऐलान के बाद राजस्थान सरकार के कर्मचारियों के बीच भ्रम की स्थिति है। उन्होंने X पर पोस्ट कर कहा, “राजस्थान के कार्मिकों के हित एवं उनके भविष्य की सुरक्षा के लिए हमारी सरकार ने 2022 में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू की थी। अब भारत सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) ला दी है जिसके बाद राज्य के कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति है। राज्य के कर्मचारी जानना चाहते हैं कि यहां सरकार OPS जारी रखेगी या UPS लागू करेगी। इस पर राज्य सरकार अविलंब स्थिति स्पष्ट करे जिससे कार्मिक बिना किसी तनाव के अच्छे से काम कर सकें।”
उन्होंने इसी पोस्ट में आगे कहा कि राजस्थान की बीजेपी सरकार को ये भी बताना चाहिए कि भारत सरकार द्वारा NPS का अंशदान इकट्ठा करने वाली PFRDA के पास राज्य सरकार के कर्मचारियों का 40,000 करोड़ रुपये जमा है। हमारी सरकार ने कई बार कर्मचारियों की इस जमापूंजी को राज्य को लौटाने का अनुरोध किया परन्तु केन्द्र सरकार ने यह राशि नहीं लौटाई। भाजपा सरकार ने अभी तक कर्मचारियों की इस मेहनत की जमापूंजी को वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए हैं और यह राशि कब तक वापस आएगी? क्या कथित डबल इंजन सरकार का लाभ राज्य के सरकारी कर्मचारियों को नहीं मिलेगा?
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यूपीएस पर क्या बोलीं निर्मला सीतारमण?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि यूपीएस एक नई योजना है और यह कोई यू-टर्न मारने वाला कदम नहीं है। उन्होंने कहा कि यह पुरानी पेंशन योजना और राष्ट्रीय पेंशन योजना से अलग है। यह स्पष्ट रूप से एक नया पैकेज है। उन्होंने कहा कि यूपीएस बेहतर पेंशन योजना है और इससे ज्यादातर सरकारी कर्मचारी संतुष्ट हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि यूपीएस को इस तरह तैयार किया गया है कि सरकार पर भी ज्यादा बोझ नहीं पड़ता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ज्याजातर राज्य यूपीएस को अपनाएंगे क्योंकि इसमें कर्मचारियों के लिए बहुत सारे फायदे हैं।