राजस्थान की कोचिंग नगरी कोटा में हेपेटाइटिस की बीमारी फैलने से बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। दूषित खाने और गंदे पानी के कारण छात्रों में यह बीमारी फैल रही है। इसके चलते प्रशासन भी चिंता में आ गया है। हालांकि, कोटा के सीएमएचओ जे. सोनी ने कहा है कि अब नए मामले कम हो रहे हैं और दूषित खाने और पानी की सफाई को लेकर भी काम किया गया है।

जे. सोनी ने कहा कि 35 छात्र बीमार हुए थे, जिनमें से ज्यादातर ठीक हो रहे हैं और नए मामलों की संख्या में भी कमी आ रही है। उन्होंने बताया कि पानी के स्त्रोतों और खाने की सैंपलिंग की जा रही है और अभी तक 83 की सैंपलिंग की जा चुकी है। सीएमएचओ ने बताया कि 18 ब्लड सैंपल एकत्र किए गए थे, जिनमें से 11 में हेपेटाइटिस ए और एक में हेपेटाइटिस ई की पहचान की गई।

उन्होंने कहा कि छात्रों में हेपेटाइटिस बीमारी फैलने को लेकर कोचिंग सेंटर और होस्टलों के साथ एक मीटिंग की गई थी और उन्हें सख्त हिदायत दी गई थी कि पानी के टैंकों की नियमित सफाई की जाए और आरओ वॉटर फिलटर्स में यूवी लैंप्स लगाए जाएं।

उन्होंने बताया कि कोचिंग सेंटर, होस्टल के मालिकों के साथ एक मीटिंग करके निर्देश दिए गए थे कि पानी के टैंकों की नियमित रूप से सफाई की जाए। उन्होंने यह भी बताया कि अंडरग्राउंड पानी के टैंकों की सफाई की गई और आरओ वॉटर फिल्टर्स में यूपी लैंपस लगाए गए हैं। इस बीच, चार महीने पहले ही कोचिंग करने आए एक छात्र वैभव की हेपेटाइटिस ए के कारण मौत हो गई है।

वैभव यहां मेडिकल की कोचिंग कर रहा था और जवाहरनगर के हॉस्टल में रहता था। हेपेटाइटिस के कारण उसके ब्रेन में सूजन आ गई थी, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। छात्रों का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि कोचिंग में पढ़ने वाले छात्रों के अलावा आम लोगों में भी यह बीमारी फैल रही है। इस बीमारी से संक्रमित बच्चों में बुखार, थकान, उल्टी और पेट दर्द जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं।

कोटा में देशभर से छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग के लिए आते हैं। एक लाख से ज्यादा बच्चे कोचिंग के लिए रहते हैं। ऐसे में यहां पीजी और हॉस्टलों की भरमार है। ऐसे में डॉक्टरों की सलाह है कि पीजी और हॉस्टल के मालिकों को साफ सफाई का खास ख्याल रखना चाहिए।