राजस्थान सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। राजस्थान में विश्वविद्यालयों के कुलपति अब ‘कुलगुरु’ कहलाएंगे। राजस्थान के भाजपा नेताओं ने कुलपति नाम में पति होने को गलत बताया था। इसकी जगह उन्होंने गुरु करने की मांग की थी। इसके बाद राजस्थान विधानसभा में भजनलाल सरकार ने कुलपति का नाम बदलने के लिए बिल पेश किया और यह बिल पास हो गया।

राजस्थान विधानसभा में पेश किया गया बिल

राजस्थान विधानसभा में ‘विश्वविद्यालय की विधियां (संशोधन) विधेयक’ पारित किया गया। इस विधेयक के तहत प्रदेश के 32 सरकारी सहायता प्राप्त विश्वविद्यालय में कुलपति का पद नाम बदलकर कुलगुरु और प्रतिकुलपति का नाम बदलकर प्रतिकुलगुरु करने का फैसला किया गया। हालांकि यह बदलाव केवल हिंदी भाषा में ही लागू होगा, जबकि इंग्लिश में पहले की तरह ही रहेगा।

टीकाराम जूली ने भजनलाल सरकार पर साधा निशाना

राजस्थान विधानसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कुलपतियों की अधिकता पर सवाल उठाएं। उन्होंने कहा कि राजस्थान के 32 विश्वविद्यालय में से सिर्फ चार में ही कुलपति हैं। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा कुलपति उत्तर प्रदेश से नियुक्त किए गए हैं। वहीं सरकार पर निशाना साधते हुए ने टीकाराम जूली ने एक मेडिकल यूनिवर्सिटी का भी उदाहरण दिया और कहा कि महाराष्ट्र से एक गैर डॉक्टर को कुलपति नियुक्त कर दिया गया, जो इस पद के लिए उपयुक्त ही नहीं है।

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टीकाराम जूली ने राजस्थान विधानसभा में शिक्षकों के वेतन और खाली पद को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। टीकाराम जूली ने कहा कि राजस्थान के कई विश्वविद्यालय में शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि 4000 से अधिक पद खाली पड़े हैं। विपक्ष नेता टीकाराम जूली ने कहा कि सिर्फ नाम बदलने से कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा, जब तक वैदिक संस्कृति और सनातन धर्म के संस्कार नहीं लाए जाएंगे।

टीकाराम जूली के बयान के बाद संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विपक्ष केवल राजनीति करने के लिए मुद्दा तलाश रहा है। जोगाराम पटेल ने कहा कि भाजपा सरकार का मकसद प्रदेश में विकास और इन्फ्रास्ट्रक्चर को ठीक करना है।