राजस्थान में जारी सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलने राजभवन पहुंचे। बता दें कि राज्यपाल कलराज मिश्र ने 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने के राज्य सरकार के प्रस्ताव तीसरी बार लौटा दिया। गहलोत इस मामले में चौथी बार राज्यपाल से मिले।
सरकार ने मंगलवार को विधानसभा सत्र बुलाने के दो प्रस्ताव लौटने के बाद राज्यपाल कलराज मिश्र को तीसरा प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव में 31 जुलाई से ही सत्र बुलाने की मांग की गई है। गवर्नर ने शर्त रखी थी कि सत्र बुलाने के लिए 21 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए।
इस बीच, राज्यपाल कलराज मिश्र ने 15 अगस्त को राजभवन में होने वाला ऐट होम कार्यक्रम रद्द कर दिया है। इसकी वजह कोरोनावायरस का संक्रमण बताई जा रही है। दूसरी तरफ राजनीति के जानकारों का कहना है कि विधानसभा सत्र को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्यपाल के बीच चल रही खींचतान भी इसकी वजह हो सकती है।
राज्यपाल कलराज द्वारा विधानसभा सत्र बुलाने के प्रस्ताव को तीसरी बार भी वापस करने पर राज्य सरकार का क्या कदम होगा? इस सवाल पर गहलोत के कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा था कि अगर राज्यपाल संविधान के खिलाफ जाकर सत्र बुलाने के प्रस्ताव को फिर से लौटा देते हैं तो सरकार फिर इसे कैबिनेट में ले जाएगी। उसके बाद मुख्यमंत्री जो फैसला लेंगे वही अंतिम होगा। इससे पहले कांग्रेस ने राज्यपाल के खिलाफ आक्रामक रुख दिखाया और उन्हें मानसिक रूप से बीमार बताते हुए ट्विटर पर ‘गेट वेल सून गवर्नर’ अभियान भी चलाया।
Rajasthan Government Crisis LIVE Updates:
राजस्थान की महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने कहा कि हम राज्यपाल से लोकतांत्रिक परंपराओं को शुद्ध रखने की अपील करना चाहते हैं। हमने कैबिनेट की मीटिंग के बाद तीसरी बार सत्र बुलाने का प्रस्ताव भेजा। राज्यपाल के सवालों के आधार पर हम जवाब भेजते हैं, लेकिन हर बार कोई नया सवाल आ जाता है।
राजस्थान में अशोक गहलोत बनाम पायलट से शुरू हुई सियासी उठापटक अब गहलोत बनाम राज्यपाल ज्यादा हो गई है। अशोक गहलोत सरकार 31 जुलाई से ही विधानसभा का सत्र बुलाने पर अड़ी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के घर पर मंगलवार को ढाई घंटे तक चली कैबिनेट बैठक में राज्यपाल कलराज मिश्र की आपत्तियों पर चर्चा हुई। उसके बाद राज्य सरकार ने अपना जवाब तैयार किया। इस जवाब को राज्यपाल को भेज दिया गया है। राज्य सरकार ने विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर तीसरी बार राज्यपाल के पास अर्जी भेजी है। अब राजभवन के जवाब का इंतजार है।
सचिन पायलट ने ट्वीट कर विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को जन्मदिन की बधाई दी है। जोशी ने ही पायलट समेत 19 विधायकों को नोटिस देकर पूछा था कि क्यों ना आपके खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही की जाए। इस मामले में सरकार की तरफ से राजस्थआन हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी जोशी ही पार्टी थे।
बसपा ने पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए सभी 6 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग को लेकर 29 जुलाई को राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर की। वहीं, भाजपा विधायक मदन दिलावर की याचिका पर भी सुनवाई होनी है। दिलावर ने अपनी अर्जी में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उनकी याचिका को खारिज करने और बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ अपील की है। मामले की सुनवाई जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल की एकलपीठ करेगी।
राजस्थान में सियासी ड्रामे को भाजपा भले ही कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई बता रही हो, लेकिन खबरों की मानें तो वह इस जंग को लंबा खींचना चाहती है। भाजपा यह तो पहले ही कह चुकी है कि वह राजस्थान के राजनीतिक हालात पर नजर बनाए हुए है। भाजपा की पूरी कोशिश है कि सचिन पायलट के समर्थन में कांग्रेस के कुछ और विधायक आ जाएं। यही वजह है कि वह सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों की बगावत के बाद भी गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाई है। खबरों के मुताबिक, अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लड़ाई जितनी लंबी चलेगी भाजपा को उतना ही फायदा होगा।
राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा कि कांग्रेस जिसने अंग्रेजों को मार भगाया, स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी लेकर उसे सफल बनाया, वह आज लोकतंत्र बचाने के लिए फिर से संघर्ष कर रही है। कर्नाटक, गोवा, मणिपुर, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश में सबने देखा है। पिछले 6 साल में सबने हॉर्स ट्रेडिंग को देखा है। ऐसा ही चलता रहा तो लोगों का लोकतंत्र से विश्वास खत्म हो जाएगा।
राज्यपाल कलराज मिश्र पर अंगुली उठाए जाने पर भाजपा भी कांग्रेस पर हमलावर हुई। वहीं बसपा विधायकों के विलय पर पार्टी सुप्रीमो मायावती ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा। इस पर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मायावती पर हमला बोला। इसके अलावा खरीद-फरोख्त के मामले में सचिन पायलट खेमा हाई कोर्ट पहुंच गया।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव अविनाश पांडे ने इस संबंध में सिलेसिलेवार 7 ट्वीट किए। एक में उन्होंने लिखा, मेरी अपील है कि राज्यपाल महोदय की एकपक्षीय सोच रूपी संक्रमण से जल्द स्वस्थ होने की कामना करें ताकि वे निष्पक्षता से संविधान और प्रजातंत्र की रक्षा हेतु तत्काल विधानसभा सत्र बुलाने पर अपनी सहमति प्रदान करें जिससे संविधान में निहित प्रावधानों की रक्षा हो।
राजस्थान के सियासी संकट के बीच बुधवार को कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेंगे। पदभार ग्रहण समारोह सुबह 10 बजे होना है। जब डोटासरा पीसीसी चीफ की जिम्मेदारी संभालेंगे, उस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे के अलावा केसी वेणुगोपाल सहित वरिष्ठ नेता, विधायक, पूर्व पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के मौजूद रहने की उम्मीद है। कांग्रेस ने कोई बड़ा समारोह नहीं रखा है, लेकिन उसने अपने कार्यकर्ताओं से फूल मालाएं नहीं लाने को कहा है।
बहुजन समाज पार्टी के विधायक लखन सिंह (करौली), राजेन्द्र सिंह गुढ़ा (उदयपुरवाटी), दीपचंद खेड़िया (किशनगढ़ बास), जोगेन्दर सिंह अवाना (नदबई), संदीप कुमार (तिजारा) और वाजिब अली (नगर भरतपुर) कांग्रेस में शामिल हुए थे।
गहलोत सरकार में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह ने मंगलवार को कैबिनेट मीटिंग के बाद कहा था कि सत्र बुलाना हमारा कानूनी अधिकार है। राज्यपाल इस पर सवाल नहीं उठा सकते, फिर भी हम जवाब दे रहे हैं। जहां तक 21 दिन के नोटिस की बात है तो 10 दिन तो पहले ही बीत चुके हैं। फिर भी राज्यपाल नोटिस की बात करते हैं तो वे कोई तारीख क्यों नहीं दे रहे। अगर राज्यपाल ने इस बार भी हमारा प्रस्ताव नहीं माना तो साफ हो जाएगा कि देश में संविधान नाम की कोई चीज नहीं है।
राजस्थान में सियासी संकट के बीच भाजपा विधायक मदन दिलावर ने मंगलवार को उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर की। इसमें उन्होंने बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ उनकी शिकायत खारिज करने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के खेमों के बीच जारी रस्साकशी के बीच बसपा ने भी मामले में एक पक्ष बनने के अनुरोध को लेकर अदालत का रूख किया है।
राजस्थान सरकार ने विधानसभा का सत्र 31 जुलाई से बुलाने के लिए एक संशोधित प्रस्ताव मंगलवार को राज्यपाल कलराज मिश्र को भेजा। हालांकि, इसमें यह उल्लेख नहीं किया है कि वह विधानसभा सत्र में विश्वास मत हासिल करना चाहती है या नहीं। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विधानसभा का सत्र बुलाये जाने के लिये राज्य सरकार से प्राप्त एक प्रस्ताव मिश्र द्वारा लौटाए जाने के साथ दिये गये सुझावों पर चर्चा करने के बाद मंत्रिमंडल ने यह रुख अपनाया है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बड़े भाई को मनी लांंड्रिंग मामले में पूछताछ के लिये समन किया है। यह मामला उर्वरक निर्यात में कथित वित्तीय अनियमितता से जुड़ा है। अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री के भाई अग्रसेन गहलोत को मनी लांंड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) के तहत बुधवार को दिल्ली में जांच अधिकारी के समक्ष बयान देने के लिये बुलाया गया है।
कलराज मिश्र 2014 में देवरिया से सांसद बने और नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेस मंत्रालय का पोर्टफोलियो मिला था। 75 साल पर रिटायरमेंट पॉलिसी लागू होने पर खुद ही 2016 में केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफे की पेशकश भी कर दी थी। कलराज मिश्र का ही बयान था कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों के कारण 2016 में उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया था। 2017 में कैबिनेट में फेरबदल से पहले उन्होंने खुद ही रिजाइन कर दिया था।
कलराज मिश्र एक अच्छे श्रोता हैं। वे सबकी बात पूरा मन लगाकर सुनते हैं। इसी वजह से न केवल भाजपा में बल्कि कांग्रेस में भी उनके अच्छे मित्र हैं। जब से पायलट प्रकरण शुरू हुआ है, तब से गहलोत उनसे चार बार मुलाकात कर चुके हैं। यही नहीं, एक जुलाई को राज्यपाल कलराज मिश्र का जन्मदिन था तो उन्हें सबसे पहले शुभकामनाएं देने वालों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शामिल थे। जिस पर अपना आभार प्रकट करने में कलराज मिश्र ने भी देर नहीं लगाई थी। कलराज से पहले उत्तर प्रदेश के ही पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह राजस्थान में राज्यपाल थे। तब गहलोत और कल्याण सिंह के टकराव की खबरें अक्सर हेडलाइन बना करती थीं। पिछले साल सितंबर में कलराज राजस्थान पहुंचे। तब से पहली बार टकराव दिख रहा है।
दो बार सत्र बुलाने के प्रस्ताव को राज्यपाल कलराज मिश्र ने यह कहते हुए लौटा दिया था कि वह सत्र बुलाने के लिए तैयार हैं मगर सरकार को 21 दिन का नोटिस देने की शर्त माननी पड़ेगी। इसके अवाला सरकार से दो सवाल भी पूछे गए। इसमें पहला सवाल था कि क्या आप विश्वास मत प्रस्ताव चाहते हैं? अगर किसी भी परिस्थिति में विश्वास मत हासिल करने की कार्यवाही की जाती है तो यह संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव की मौजूदगी में हो और वीडियो रिकॉर्डिंग करवाई जाए। दूसरा सवाल था कि जब विधानसभा का सत्र बुलाया जाए तो सोशल डिस्टेंसिंग कैसे सुनिश्चित की जाएगी यह भी स्पष्ट किया जाए। क्या ऐसी व्यवस्था है कि 200 सदस्य और एक हजार से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों के इकट्ठा होने पर संक्रमण का खतरा ना हो?
राजस्थान हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। निचली अदालत ने सहकारी समिति घोटाला मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अन्य के खिलाफ जांच के निर्देश दिए हैं।
विधानसभा ने कोटा की रामगंजमंडी से विधायक मदन दिलावर को उनकी याचिका खारिज होने के फैसले की विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी है। दिलावर ने बताया कि स्पीकर ने उनकी याचिका इसलिए खारिज की क्योंकि उन्होंने बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय होने से जुड़े निर्णय की जो कॉपी लगाई थी, उस पर उनके हस्ताक्षर नहीं थे। दिलावर ने विधानसभाध्यक्ष पर आरोप लगाया कि अगर मैंने हस्ताक्षर नहीं किए थे तो भी मेरा पक्ष सुनने के लिए मुझे बुलाया जा सकता था। विधानसभा अध्यक्ष ने पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर मेरी याचिका को खारिज की है। हालांकि, जो बिंदु उनके निर्णय में दिए गए हैं, उसी को आधार बनाकर मैंने राजस्थान हाई कोर्ट में दोबारा याचिका लगाई है। मुझे उम्मीद है कि कोर्ट से इस मामले में सही निर्णय करेगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल कलराज मिश्र ने 21 दिनों के वक्त की बात इसलिए की है, ताकि भाजपा अपनी स्थिति मजबूत कर सके। कांग्रेस नेता ने तंज कसा कि कलराज जी की कला काबिल-ए-तारीफ है।
भाजपा विधायक मदन दिलावर ने बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ हाई कोर्ट में दूसरी याचिका लगाई है। सोमवार को उनकी अर्जी खारिज हो गई थी। हाई कोर्ट ने पिटीशन को सारहीन बताया था। हालांकि, अलग से नए सिरे से लगाने की छूट भी दे दी थी। दिलावर का कहना है कि उन्होंने बसपा विधायकों के दलबदल की शिकायत 4 महीने पहले स्पीकर सीपी जोशी से की, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई।
राजस्थान में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है। मंगलावर सुबह भी प्रदेशभर में 406 नए संक्रमित मरीज मिले जबकि 7 कोरोना मरीजों की मौत हुई। राज्य में कुल मामलों की संख्या अब 37,970 हो गई है, मौत का आंकड़ा 640 हो गया है। राजस्थान में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार (28 जुलाई, 2020) को कहा कि दुख की बात है कि अशोक गहलोत ने अपने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी बदनियत से बसपा को राजस्थान में गंभीर नुकसान पहुंचाने के लिए हमारे 6 विधायकों को असंवैधानिक तरीक से कांग्रेस में विलय करने की गैर कानूनी कार्यवाही की है और यही गलत काम उन्होंने पिछले कार्यकाल में भी किया था। मायावती ने कहा कि कांग्रेस का ये कार्य संविधान की 10वीं अनुसूचि के खिलाफ है इसलिए बसपा के द्वारा 6 विधायकों को व्हिप जारी कर निर्देशित किया गया है कि ये सदन में कांग्रेस के खिलाफ ही मत डालेंगे। बसपा ने ये निर्णय कांग्रेस के द्वारा बार-बार धोखा दिए जाने के कारण ही लिया है। बकौल मायावती इस कारण से इनकी (कांग्रेस) अब सरकार रहती है या नहीं रहती है इसका दोष अब पूर्ण रूप से कांग्रेस और उनके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ही होगा।
कैबिनेट बैठक खत्म होने के बाद राज्य सरकार में मंत्री प्रताप सिंह, हरीश चौधरी की ओर से बयान दिया गया कि हमें बहुमत साबित करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हम पहले से ही बहुमत में हैं। मंत्री ने कहा कि राज्यपाल कौन होते हैं पूछने वाले कि सत्र क्यों बुलाया जा रहा है।
राजनीतिक संकट से पहले कांग्रेस के 107 विधायक थे। हालांकि अब स्थिति बिल्कुल अलग है। अभी सीएम गहलोत के पक्ष में 102 विधायक हैं जिनमें 88 कांग्रेस, 10 निर्दलीय, 2 बीटीपी, 1 आरएलडी, 1 सीपीएम से हैं। पायलट गुट में 19 कांग्रेस के बागी है और दो निर्दलीय है। इसके अलावा भाजपा प्लस के पास 72 भाजपा, 3 आरएलपी यानी कुल 75 विधायकों का समर्थन है। माकपा के एकलौते विधायक गिरधारी मईया फिलहाल सबसे अलग हैं।
बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले को लेकर भाजपा विधायक मदन दिलावर ने एक बार फिर कोर्ट का रुख किया है। दिलावर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के निर्णय को चुनौती दी है। विधानसभा अध्यक्ष ने दिलावर की याचिका को 24 जुलाई को खारिज कर दिया था।
सचिन पायलट की एक फेसबुक पोस्ट से सूबे में सियासी हलचल फिर तेज हो गई है। दरअसल, सचिन पायलट ने गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती, भूतपूर्व राष्ट्रपति 'भारत रत्न' डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ उन्होंने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के स्थापना दिवस की भी हार्दिक शुभकामनाएं दीं। सचिन पायलट ने अपनी सभी पोस्ट में जिन तस्वीरों का इस्तेमाल किया, उसमें कांग्रेस का निशान 'हाथ' नजर आ रहा है। सचिन पायलट ने तस्वीरों में अपना सोशल मीडिया फेसबुक, ट्विटर का लिंक शेयर किया है। इसमें राजस्थान कांग्रेस का भी लिंक दिख रहा है। सचिन की इस पोस्ट से उनके कांग्रेस में वापसी के कयास लगने शुरू हो गए हैं।
भाजपा नेता मदन दिलावर ने बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ हाई कोर्ट में दूसरी बार याचिका लगाई है। उनकी पहली याचिका खारिज हो चुकी है। दिलावर का कहना है कि उन्होंने बसपा विधायकों के दलबदल की शिकायत स्पीकर सीपी जोशी से की, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई।
राजस्थान में अशोक गहलोत कैबिनेट की बैठक मंगलवार सुबह शुरू हुई। बैठक में विधानसभा सत्र बुलाने के संशोधित प्रस्ताव पर राज्यपाल द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर चर्चा किए जाने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री निवास में कैबिनेट की बैठक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हो रही है। उल्लेखनीय है कि राज्य में जारी राजनीतिक रस्साकशी के बीच राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र बुलाने का कैबिनेट का प्रस्ताव दुबारा वापस सरकार को भेजा है। सूत्रों के अनुसार कैबिनेट की बैठक में इन्हीं बिंदुओं पर चर्चा होगी।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर आज कैबिनेट की बैठक होगी। मीटिंग में विधानसभा सत्र बुलाने जाए के मुद्दे पर चर्चा करने की उम्मीद है। मीटिंग के बाद राज्यपाल कलराज मिश्र के सवालों का जवाब तैयार कर सरकार तीसरी बार अर्जी दे सकती है। इससे पहले 2 बार मांग खारिज करने के बाद राज्यपाल ने सोमवार को कहा कि सत्र बुलाने के लिए तैयार हैं मगर सरकार को 21 दिन को नोटिस देने की शर्त माननी पड़ेगी। राज्यपाल ने सरकार से 2 सवाल भी किए।
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र 2 बार अशोक गहलोत सरकार की विधानसभा सत्र बुलाने की मांग वाले प्रस्ताव को लौटा चुके हैं। हालांकि, उन्होंने एक शर्त रखी है। राज्यपाल ने कहा है कि सरकार 21 दिन का नोटिस दे तो सत्र बुलाया जा सकता है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया, ‘राज्यपाल ने कहा है कि कोरोना के बीच विधायकों को सदन में बुलाना मुश्किल होगा। राज्यपाल ने सरकार से पूछा है कि क्या आप विश्वास मत प्रस्ताव चाहते हैं? इस बात का जिक्र आपके पत्र में नहीं है, लेकिन मीडिया में आप ऐसा ही बोल रहे हैं। साथ ही पूछा कि क्या आप सत्र बुलाने के लिए 21 दिन का नोटिस देने पर विचार कर सकते हैं?’
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य सरकार से कहा है कि वह विधानसभा सत्र बुलाने के अपने प्रस्ताव को फिर से उनके पास भेजे। राज्यपाल ने सरकार के संशोधित प्रस्ताव को सरकार को तीन बिंदुओं के साथ लौटा दिया। इसके साथ ही इसमें राजभवन की ओर से कहा गया है कि यदि राज्य सरकार विश्वास मत हासिल करना चाहती है तो यह अल्पावधि में सत्र बुलाए जाने का युक्तिसंगत आधार बन सकता है।
असम में पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई समेत कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने पार्टी के राष्ट्रव्यापी 'लोकतंत्र बचाओ, संविधान बचाओ' अभियान के तहत सोमवार को गुवाहाटी में विरोध प्रदर्शन किया।
कांग्रेस नेताओं ने राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार गिराने की भाजपा की कथित कोशिश के खिलाफ यहां राजभवन तक मार्च करने का प्रयास किया। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस प्रमुख डी. के. शिवकुमार समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस ने शिवकुमार, विपक्ष के नेता सिद्धरमैया, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वर खांडरे, सलीम अहमद समेत कई नेताओं को कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति कार्यालय से राजभवन मार्च करने के दौरान बीच रास्ते में ही रोक लिया।
शहर के एक वकील ने राजस्थान उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर राज्यपाल कलराज मिश्र को हटाने के लिये राष्ट्रपति को सलाह देने का केंद्र को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है। राज्य में जारी राजनीतिक खींचतान के बीच यह याचिका दायर की गई। याचिका दायर करने वाले शांतनु पारीक का दावा है कि राज्य मंत्रिमंडल की सलाह पर विधानसभा का सत्र आहूत नहीं करके राज्यपाल अपना संवैधानिक कर्तव्य निभाने में असफल रहे हैं।
राजस्थान हाई कोर्ट ने 19 विधायकों को नोटिस मामले में यथास्थिति रखने के लिए कहा है। इसका मतलब यह है कि उनकी सचिन पायलट खेमे के विधायकों की सदस्यता रद्द नहीं होगी। वहीं, भाजपा नहीं चाहती कि सरकार सत्र बुलाकर पायलट गुट पर कोई कार्यवाही करे। वह चाहती है कि 19 विधायकों की सदस्यता बची रहे और जरूरत पड़े तो सरकार को हिला सकें।
अशोक गहलोत सरकार ने अब नई रणनीति अपनाई है। सीएम गहलोत ने कांग्रेस के बागी सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को कानूनी दांव-पेच से अलग राजनीतिक अखाड़े में पटखनी देनी शुरू की है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान हाई कोर्ट से पायलट खेमे को मिली फौरी राहत के बाद सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका वापस लेना इसी योजना का हिस्सा है।
रामगंजमंडी से भाजपा विधायक मदन दिलावर विधानसभा में धरने पर बैठ गए। उनका आरोप था कि बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के फैसले की प्रति (कॉपी) उन्हें नहीं दी जा रही। वह विधानसभा पहुंचे और अध्यक्ष के फैसले की प्रति लेने की कोशिश की। प्रति नहीं मिलने पर विधानसभा सचिव प्रमिल कुमार माथुर के कक्ष में धरने पर बैठ गए। काफी जिद्दोजहद के बाद उनको अध्यक्ष के फैसले की प्रति मिली। दिलावर का आरोप है कि दल बदल कानून का उल्लंघन कर बसपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष स्वतंत्र रूप से विधायकों के दल बदल को निर्धारित नहीं कर सकते हैं।