राजस्थान में चुनावी सरगर्मी पूरे चरम पर है। आगामी 7 दिसंबर को राजस्थान में वोट डाले जाएंगे। चुनावों को लेकर लोकतंत्र में खासा उत्साह देखने को मिलता है, लेकिन राजस्थान के मुस्लिम समुदाय में ऐसी कोई बात नजर नहीं आ रही है। दरअसल राजस्थान का मुस्लिम समुदाय ऐसा सोचता है कि आगामी चुनावों में उनके सामने एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाईं वाली स्थिति है। द इंडियन एक्सप्रेस ने राजस्थान के मुस्लिम युवाओं के साथ बातचीत की और इस बातचीत में उनकी परेशानी उभरकर सामने आयी है। बता दें कि राजस्थान के अलवर में ही गोतस्करी के आरोप में पहलू खान नाम के व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना की चर्चा पूरे देश में हुई थी। इस मामले में पुलिस की कार्रवाई से भी लोग संतुष्ट नहीं हैं। यही वजह है कि राज्य के मुस्लिम समुदाय में इसे लेकर नाराजगी का भाव है। मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि राजस्थान में सांप्रदायिकता को लेकर पहले कोई समस्या नहीं थी, लेकिन अब उन्हें लगता है कि उनके साथ अब ‘भेदभाव’ होने लगा है।

राजस्थान के छोटे से कस्बे झुनझुनु में जब युवा मुस्लिम लोगों से बात की गई तो मोहम्मद अली नाम के एक युवक ने बातचीत के दौरान बताया कि “पहले, जब सब सामान्य था, तब हम अपने हिंदू दोस्तों के साथ व्यापार समेत कई अन्य मुद्दों पर बात करते थे, लेकिन अब ऑनलाइन चल रहे घृणा संदेशों को लेकर ही बातें होती हैं। अली ने बताया कि “करीब 6 माह पहले नजदीक के ही मोहल्ले में बचपन के दो दोस्तों में शराब के नशे में झगड़ा हो गया। इनमें से एक हिंदू था और दूसरा मुस्लिम। जिसके चलते बात काफी बढ़ गई और खूब झगड़ा हुआ।” झांकिया निकाली जाती हैं तो इस दौरान भड़काऊ नारे लगाए जाते हैं। मोहम्मद असलम नाम के एक अन्य युवक ने बताया कि “वह पहले बछड़ों को झुनझुनु से ले जाकर दिल्ली के गाजीपुर में बेचता था, यही हमारा पारिवारिक व्यापार था, लेकिन अब ये मुश्किल हो गया है क्योंकि हमेशा डर बना रहता है कि लोगों की भीड़ गोतस्करी के आरोप में हिंसा कर सकती है और हमने देखा है कि पुलिस भी इस दौरान हमारे बचाव में नहीं आती। 2 साल पहले मेरे भाई के साथ मारपीट भी की गई थी, जिसके बाद अब हमें मजदूरी करनी पड़ रही है।”

मुस्लिम वर्ग के लोगों का कहना है कि भाजपा से ज्यादा उसके सहयोगी दल जैसे बजरंग दल और शिवसेना ज्यादा उग्र हैं और पहले आरएसएस को लोग दिखाई नहीं देते थे, लेकिन अब वह भी लाठियों के साथ दिखाई देते हैं। जगह जगह गोरक्षक दल बन गए हैं। ऐसा नहीं है कि मुस्लिमों का डर सिर्फ भाजपा को लेकर है, आजकल लोग कांग्रेस को लेकर भी चिंतित हैं। जिस तरह से कांग्रेस कट्टर हिंदुत्व और सॉफ्ट हिंदुत्व के बीच फंसी हुई है, उसने मुस्लिमों की चिंता बढ़ायी है, चूंकि यहां पर लोगों के पास कोई तीसरा विकल्प भी नहीं है। मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि ‘हमारा कांग्रेस से सवाल है कि यदि वो लोग संवेदनशील मुद्दों पर बात नहीं करना चाहते, ठीक है! लेकिन कम से कम बिजली-सड़क-पानी जैसे बुनियादी मुद्दों पर तो बात करें। मुस्लिम मुहल्लों में विकास कार्यों की स्थिति काफी खराब है।’

राजस्थान के नागौर कस्बे में जब मुस्लिम सुमदाय के कुछ बुजुर्गों से बात की गई तो उनका कहना था कि ‘ध्रुवीकरण काफी बढ़ गया है, नफरत की खाई बहुत ज्यादा बढ़ा दी गई है कि लोग हमारी दाढ़ी को घूरते हैं और हम से गैरों की तरह व्यवहार किया जाता है। लोगों का कहना है कि हम शांति चाहते हैं। लेकिन पिछले 2-3 सालों के दौरान तीन-चार ऐसे मौके आए हैं, जब दोनों समुदायों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था।’ एक अन्य मुस्लिम व्यक्ति ने बताया कि ‘जब भी भाजपा कमजोर पड़ती है तो वह अयोध्या में मंदिर का मुद्दा उठा देती है। पीएम मोदी के बारे में बात करते हुए लोगों ने कहा कि जब भी देश में कोई परेशानी का माहौल होता है, वो विदेश दौरे पर चले जाते हैं।’

कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए एक व्यक्ति ने कहा कि “कांग्रेस के शासनकाल में भी घोटाले हुए और विकास नहीं हुआ, लेकिन अब स्थिति बेहद खराब है। मोदी जी गलत दावे करते हैं और असल मुद्दों को भटकाने का काम कर रहे हैं। हम नहीं चाहते कि कांग्रेस हमारे पक्ष में बोले। हम सिर्फ शांति चाहते हैं, बस धंधा चलना चाहिए।”