राजस्थान में कांग्रेस ने विशेष तौर पर पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है जिसे वह अन्य राज्यों में भी लागू कर सकती है। इसके पीछे मकसद पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट और संगठन को मजबूत करना है। राजस्थान में 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सत्ता से विदाई हो गई थी और बीजेपी ने सरकार बनाई थी।

राजस्थान कांग्रेस के प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “पहले, हम कार्यकर्ताओं की टीम बनाने के लिए स्थानीय विधायक या नेता पर निर्भर थे लेकिन कई जिला अध्यक्ष और कार्यकर्ता पार्टी की बैठकों में भाग नहीं लेते थे, इसलिए पार्टी के हित को ध्यान में रखते हुए संगठनात्मक ढांचे में बदलाव करना जरूरी हो गया था।”

राजस्थान में कांग्रेस के पास दो दशक पहले मजबूत संगठनात्मक ढांचा था लेकिन अब यह एक्टिव नहीं है।

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जिला इकाइयों की संख्या बढ़ाई

कांग्रेस ने संगठन को फिर से मजबूत बनाने की दिशा में पहला कदम यह उठाया है कि अपनी जिला इकाइयों की संख्या 40 से बढ़कर 50 कर दी है। किसी भी जिले में अध्यक्ष की नियुक्ति करने से पहले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के सदस्य उस जिले का सर्वे करेंगे और फीडबैक लिया जाएगा। इसके बाद ही जिला अध्यक्ष की नियुक्ति होगी।

संगठन की मजबूती से मिली बीजेपी को जीत

राजस्थान में बीजेपी को मिली चुनावी कामयाबी में उसके संगठन की मजबूती को एक बड़ी वजह माना जाता है और इसी को देखते हुए कांग्रेस ने भी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए उन्हें छह अलग-अलग स्तरों पर संगठित करने का फैसला किया है। यह स्तर बूथ, मंडल, ब्लॉक, नगर, जिला और राज्य हैं।

कांग्रेस हाईकमान ने पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में किये जा रहे इन अहम बदलावों को मंजूरी दे दी है।

खड़गे ने डायल किया था नंबर

कांग्रेस के एक नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, “अप्रैल में जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जयपुर आए थे तब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने उन्हें कार्यकर्ताओं के नाम और उनसे जुड़ी जानकारी वाली एक फाइल दिखाई थी। मल्लिकार्जुन खड़गे को पहले इस पर भरोसा नहीं हुआ और उन्होंने कहा कि इसमें कुछ जानकारी फर्जी हो सकती है।”

कांग्रेस नेता ने बताया कि डोटासरा के आग्रह पर खड़गे ने फाइल में से एक नंबर डायल किया तो डोटासरा की बात सही निकली। दिल्ली कांग्रेस में बैठे नेताओं ने भी इसकी जांच और वे इससे संतुष्ट नजर आए।

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