राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा है कि देश के हर अस्पताल में बच्चों की 3-4 मौतें रोजाना होती हैं। यह कोई नई बात नहीं है। कहा कि प्रदेश की राजधानी जयपुर में भी होती है। उन्होंने कोटा स्थित एक सरकारी अस्पताल में बच्चों की लगातार मौत को दुखद बताते हुए मीडिया से कहा कि पिछले छह वर्षों में इस साल सबसे कम मौते हुई हैं। कहा कि एक साल में 1500 तक मौते हुई हैं। लेकिन इस साल सिर्फ 900 मौते हुई हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि एक भी मौत नहीं होनी चाहिए।
कोटा के सरकारी अस्पताल में एक महीने के अंदर 77 नवजात शिशुओं की मौत : प्रदेश के कोटा स्थित एक सरकारी अस्पताल में एक महीने के अंदर 77 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। इस पर जब हंगामा शुरू हुआ तो जांच की मांग उठने लगी। सरकार ने मामले में सक्रियता दिखाते हुए जांच शुरू करा दी है। हालांकि प्रशासन ने डॉक्टरों की तरफ से किसी भी तरह की लापरवाही से इनकार किया है।
Rajasthan CM on Kota child deaths: This year has least deaths in last 6 yrs. Even 1 child death is unfortunate.But thr hv been 1500,1300 deaths in a year in past,this year figure is 900.There are daily few deaths in every hospital in state&country,nothing new.Action being taken pic.twitter.com/86oSvPsGA3
— ANI (@ANI) December 28, 2019
मीडिया से बोले सबसे कम मौत इस साल हुई : मीडिया से बात करते हुए सीएम ने कहा, ‘सबसे कम जानें 6 साल में इस साल गई हैं। बच्चों की एक मौत होना भी दुर्भाग्यपूर्ण होता है। पर मौतें एक साल में 1500 भी हुईं हैं, 1400 भी हुई हैं और 1300 भी हुई हैं। इस साल 900 मौतें हुईं हैं, पर 900 क्यों हुईं हैं मौत तो एक भी नहीं होनी चाहिए।’ हमने पूरी तरह जांच करवाई है और कार्रवाई भी हम कर रहे हैं। क्या सुझाव हो सकता है। पिछले कार्यकाल में भी हमने लंबे अरसे के बाद पहली बार ऑपरेशन थियेटरों को अपग्रेड किया था।’
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने जताई चिंता : शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया से बात करते हुए कई बच्चों की मौत को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हफ्तेभर में कोटा में 77 बच्चों की मौत हो चुकी है। शुक्रवार को ही कोटा के सांसद लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने इस पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा कि कोटा के एक मातृ एवं शिशु अस्पताल में 48 घंटे में 10 नवजात शिशुओं की मौत चिंता का विषय है।