राजस्थान की सत्ता में वापसी के एक महीना बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार राज्य की पिछली भाजपा सरकार से गाय के मुद्दे को वापस अपने पाले में लाने की कोशिश में है। राजस्थान की सत्ता में रहते भाजपा ने देश के पहले समर्पित गोपालन मंत्रालय की घोषणा करके इस मुद्दे को सुलझाने की मांग की थी। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में गोपालन मंत्री प्रमोद भाया ने कहा, ‘हमारे सभी शास्त्रों में कहा गया है कि सभी देवी-देवता गोमाता में निवास करते हैं। मगर शायद ही कोई दूसरा जानवकर गायों की जितनी मुसीबत का सामना कर रहा है। आवारा पशु आज के समय में सबसे बड़ा मुद्दा है और यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम उनके लिए आवश्यक व्यवस्था करें और उन्हें बढ़ावा भी दें।’
प्रमोद भाया ने कहा कि उन्होंने गायों का एक हिस्सा अलग रखे बिना खाना नहीं खाया। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में हुई कैबिनेट मीटिंग आवारा पशुओं का मुद्दा उठाया। इसके अलावा जल्द ही जयपुर में सभी रजिस्टर्ड गाय शेल्टरों का सम्मेलन आयोजित करने की योजना भी है। उन्होंने कहा, ‘जब गाय दूध देना बंद कर देती हैं उन्हें छोड़ दिया जाता है। सम्मेलन में हम सभी हितधारकों के साथ इस सवाल को उठाने और सामाजिक कार्यकर्ताओं और संतों का सुझाव मिलने की उम्मीद कर रहे हैं।’
विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पहले ही इस बात के संकेत दे चुकी है कि गायों के मुद्दे पर वह भाजपा संग प्रतिस्पर्धा करने जा रही है। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में गाय शेल्टरों के लिए अनुदान बढ़ाने का वादा किया था। इसके अलावा इन्हें आधुनिक बनाने का भी आश्वासन दिया गया। चुनावी घोषणापत्र में कहा गया कि कांग्रेस सत्ता में आई तो आवारा पशुओं की समस्या को दूर कर देगी।
सरकार द्वारा वित्त पोषित गोशालाओं की स्थिरता और गाय के कल्याण के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अगर किसी की इच्छा शक्ति मजबूत है तो वे सफल होने के लिए बाध्य हैं। उन्होंने कहा कि गाय शेल्टरों को ग्रांट देने की पहली योजना तब शुरू हुई जब अपने पिछले कार्यकाल में अशोक गहलोत राज्य के मुख्यमंत्री थे। उनकी सोच है कि वर्तमान सरकार द्वारा गायों के कल्याण के लिए अच्छा काम किया जाना चाहिए।