राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के आदेश के बाद पिछले दिनों कोटा ज़िले के एक स्कूल में पढ़ा रहे दो मुस्लिम शिक्षकों (मिर्ज़ा मुजाहिद और फिरोज खान) को निलंबित कर दिया गया था और एक महिला टीचर के खिलाफ जांच शुरू की गई थी।

Scroll.in की खबर के मुताबिक सांगोद कस्बे से सटे खजूरी ओदपुर गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे तीनों मुस्लिम टीचर्स पर यह आरोप लगा था कि वह एक लड़की के धर्म परिवर्तन और लव जिहाद में मदद करने की कोशिश में शामिल थे जो दो साल पहले इसी स्कूल में पढ़ती थी।

जानकारी यह है कि 5 फरवरी को लड़की एक मुस्लिम लड़के के साथ भाग गई थी और इस मुद्दे को लेकर उसके परिवार ने संगोद पुलिस स्टेशन में एक FIR दर्ज कराते हुए दावा किया था कि वह कम उम्र की है और एक कार मैकेनिक ने उसका अपहरण कर लिया है।

कैसे शुरू हुआ मुस्लिम टीचर्स के खिलाफ मामला?

तीन शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई एक सर्व हिंदू समाज संगठन के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को सौंपे गए ज्ञापन के आधार पर की गई। इस संगठन ने अपने आरोपों के सबूत के तौर पर 2019 में भरे गए लड़की के स्कूल एडमिशन फॉर्म का हवाला दिया।

इस फॉर्म में लड़की का धर्म ‘इस्लाम’ बताया गया है। फॉर्म पर लड़की के पिता और स्कूल प्रिंसिपल दोनों के हस्ताक्षर भी मौजूद हैं। हालांकि इसमें तीन निलंबित शिक्षकों में से किसी के भी हस्ताक्षर नहीं हैं और इनमें से एक शिक्षक की नियुक्ति तो चार महीने पहले ही हुई है। यानी वह लड़की के एडमिशन के वक्त स्कूल में नहीं था।

हिन्दू संगठन ने 21 फरवरी को बारां जिले में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की जनसुनवाई के दौरान ज्ञापन सौंपकर आरोप लगाया कि खजूरी ओदपुर के सरकारी स्कूल के शिक्षक लव जिहाद, धर्म परिवर्तन जैसे कामों में लगे हैं और उनका संबंध प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से है।

जनसुनवाई के ठीक एक दिन बाद कोटा जिले के जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल के तीन शिक्षकों— शबाना, फ़िरोज़ खान और मिर्ज़ा मुजाहिद को निलंबित कर दिया और उन्हें लगभग 500 किमी दूर बीकानेर में शिक्षा विभाग मुख्यालय ट्रांसफर कर दिया।

लड़की के पिता ने भी शिक्षकों पर आरोप लगाया है। Scroll.in की खबर के मुताबिक उन्होंने कहा, ”यह शिक्षकों की साजिश है, उन्होंने मेरी बेटी से अपना धर्म बदलने के लिए कहा और इसके लिए सालों तक योजना बनाते रहे।”

‘धर्म का नाम लिखने में हुई गलती’

इस पूरे मामले की जड़ में लड़की का अगस्त 2019 में कक्षा 10 के लिए भरा गया एडमिशन फॉर्म है। इस फॉर्म में लिखा है कि उसका जन्म जुलाई 2005 में हुआ था और उसका धर्म इस्लाम है। निलंबित किए गए शिक्षकों में से एक फ़िरोज़ खान ने फॉर्म में गलती स्वीकार की और कहा कि यह सिर्फ लिखने में हुई एक गलती थी।

वह नाम को लेकर हुए कन्फ़्यूजन पर बात करते हुए आगे बताते हैं कि एक ही नाम की दो मुस्लिम छात्राएं कक्षा में मौजूद होने की वजह से ऐसा हुआ था। या तो ऐसा हुआ होगा कि फॉर्म भरते वक्त छात्रा ने अपनी क्लासमेट्स के फॉर्म की नकल की होगी या उस वक्त फॉर्म भरवाने वाले टीचर को किसी तरह का कन्फ़्यूजन हुआ होगा। यह लिखने में हुई सिर्फ गलती थी। इसका किसी साजिश से कोई लेना देना नहीं था। फॉर्म पर खुद लड़की के पिता और प्रिंसिपल ने साइन किए हैं। टीचर फिरोज़ खान ने आगे कहा स्कूल में उसके बाद के किसी भी डॉक्यूमेंट में लड़की का धर्म ‘इस्लाम’ नहीं दिखाया गया है।

लव जिहाद के मामले पर वह कहते हैं कि कि लड़की को स्कूल छोड़े हुए दो साल से ज्यादा वक्त हो गया है और अब वह अपनी जिंदगी को किस तरह जी रही है इसके शिक्षक जिम्मेदार नहीं हैं।

स्कूल के बच्चे और टीचर बचाव में आए सामने

Scroll.in से बातचीत करते हुए निलंबित शिक्षकों ने आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है और कहा कि उनका या स्कूल का ऐसे किसी मामले से कोई लेना देना नहीं है। निलंबित शिक्षक मुजाहिद ने कहा कि स्कूल में सभी धर्मों के बच्चे हैं और सब सद्भाव से रहते आए हैं। फिरोज़ खान ने कहा—‘हमें इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि हम मुसलमान हैं। यह एक निराधार मामला है, और हमारे धर्म के कारण हमारे साथ भेदभाव किया जा रहा है।’

कुछ हिन्दू शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों ने भी तीनों मुस्लिम टीचर्स के खिलाफ लगे आरोपों को खारिज करते हुए शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अपने लेटर सौंपे हैं। स्कूल के शिक्षक सुरेंद्र कुमार मीना ने कहा कि “लव जिहाद” और धर्म परिवर्तन के आरोप झूठे हैं और स्कूल में ऐसा कुछ नहीं होता है। सोमवार को स्कूल के छात्रों ने उपविभागीय मजिस्ट्रेट संगोद के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि तीनों शिक्षकों को जल्द बहाल किया जाए।