केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में चंडीगढ़ केंद्रशासित प्रदेश के कर्मचारियों पर केंद्रीय कर्मचारियों के नियमों को लागू करने का फैसला लिया है। इस फैसले के बाद पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार और केंद्र सरकार के बीच एक फैसले को खीचतान शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तो इसके खिलाफ ‘सड़क से संसद’ तक धरना देने की धमकी देते हुए ट्वीट किया कि “केंद्र सरकार चंडीगढ़ प्रशासन में अन्य राज्यों और सेवाओं के अधिकारियों और कर्मियों को तैनात करने के लिए इसे लागू कर रही है।“
पंजाब की अन्य पार्टियों ने भी इस फैसले का विरोध किया। कांग्रेस के नेता सुखपाल सिंह खैरा ने केंद्र के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि हम चंडीगढ़ के नियंत्रण पर पंजाब के अधिकारों को हड़पने के भाजपा के तानाशाही फैसले की कड़ी निंदा करते हैं। यह (चंडीगढ़) पंजाब का है और यह एकतरफा फैसला न केवल संघवाद पर सीधा हमला है बल्कि केन्द्रशासित पर पंजाब के 60 फीसदी नियंत्रण के हिस्से पर भी हमला है।अकाली दल के मुखिया प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि केंद्र चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकारों को कम करना चाहता है।
केंद्र के इस फैसले के बाद 1 अप्रैल से चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़कर 60 हो जाएगी और महिलाओं को बच्चों की देखभाल के लिए एक साल की जगह दो साल तक की छुट्टी मिलेंगी। चंडीगढ़ कर्मचारियों के द्वारा केंद्रीय सेवा नियम लागू करने की मांग 20-25 साल से लंबित थी। वहीं, नए केंद्रीय नियमों के लागू होने के बाद चंडीगढ़ में रहने वाले करीब 16 हजार कर्मचारियों को फायदा होगा।
फैसले के पीछे भाजपा की रणनीति: पंजाब की राजनीतिक पार्टियां अमित शाह के इस फैसले को आने वाले लोकसभा चुनावों से जोड़कर देख रहे हैं। चंडीगढ़ भाजपा हमेशा से हो मजबूत स्थिति रही है। पंजाब विधानसभा चुनाव हारने के बाद अपनी जमीन चंडीगढ़ में एक बार फिर से मजबूत कर रही है। पिछले साल सम्पन्न हुए नगर निगम चुनावों में भाजपा को आम आदमी पार्टी से कड़ी टक्कर मिली थी। आप ने सभी को चौकाते हुए सबसे ज्यादा 14 सीटें जीती थी। हालांकि एक वोट आप का रिजेक्ट होने के बाद मेयर चंडीगढ़ में भाजपा का ही बना।
इस फैसले के पर चंडीगढ़ के वरिष्ठ नेता सत्य पाल जैन ने कहा कि पंजाब सरकार अपने कर्मचारियों के लिए विभिन्न वेतन आयोगों की सिफारिशों को स्वीकार नहीं कर रही थी, जबकि केंद्र ने एक बार में यूटी कर्मचारियों की लंबे समय से लंबित मांग को स्वीकार कर लिया है। आगे कहा कि जब वे पहले ही केंद्र के कर्मचारी हैं, तो घोषणा का पंजाब पर क्या प्रभाव पड़ता है? हम पिछले कुछ समय से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के साथ इस मामले को उठा रहे थें। यह फैसला किसी राज्य के हित के खिलाफ नहीं है।’