सिद्दू मूसेवाला की हत्या के बाद मान सरकार के उस फैसले पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं जिसके तहत वीआईपी कल्चर पर हमला बता विरोधी नेताओं की सिक्योरिटी वापस ली जा रही है। इस बात पर सवाल उठने खड़े हो गए हैं कि भगवंत मान सरकार के फैसले से किसे फायदा है। मूसेवाला की जान जाने के बाद सवाल उठा है कि कहीं ये फैसला राजनीतिक बदला तो नहीं, जिसके जरिए विरोधियों से हिसाब किताब हो रहा है।
पंजाबी सिंगर की भी सिक्योरिटी वापस ले ली गई थी। उनके पास चार कमांडोज थे। हालांकि डीजीपी पंजाब का कहना है कि उन्होंने केवल दो कमांडो वापस बुलाए थे। दो मूसेवाला के साथ थे पर वो उन्हें आज अपने साथ नहीं ले गए।
बीते दिन पंजाब में वीआईपी सुरक्षा में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चौथी बार कटौती की थी। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सहित डेरे के मुखी, तीन एडीजीपी, कई पूर्व विधायक सहित 424 लोगों का सुरक्षा कवर सरकार ने वापस हटा लिया था। इन वीआईपी की सुरक्षा में तैनात लगभग 3000 पुलिसकर्मियों को अब सामान्य ड्यूटी के तहत आम लोगों की सुरक्षा में लगाया जा रहा है।
पंजाब सरकार इससे पहले तीन बार वीआईपी की सुरक्षा में कटौती कर चुकी है। इसके तहत अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल, पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल, पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ और पूर्व उपमुख्यमंत्री ओपी सोनी सहित आठ बड़े नेताओं की सुरक्षा घटाते हुए 129 पुलिसकर्मियों और 9 पायलट वाहनों को वापस बुलाया जा चुका है।
सबसे पहली बार 13 मार्च को 122 पूर्व विधायकों और मंत्रियों की सुरक्षा वापस ली गई। उसके बाद 23 अप्रैल को 184 पूर्व मंत्रियों और विधायकों की सुरक्षा वापस ली गई। तीसरी दफा11 मई को आठ वीआईपी की सुरक्षा वापस ली गई। इनकी फेहरिस्त में मुसेवाला भी शामिल थे।
शनिवार को सरकार ने चौथी लिस्ट जारी की तो कई नेता बिफर गए। आप विधायक कंवर संधू ने ट्विटर पर सरकार को हिदायत दी थी कि इन लोगों का नाम सार्वजनिक न करे। इनमें से किसी पर हमला हुआ तो क्या मीडिया हाउसों को केस में आरोपी बनाएंगे। पहले कांग्रेस और अब बीजेपी नेता फतेह जंग बाजवा का कहना है कि अगर उनकी सुरक्षा वापस नहीं लौटाई गई तो वो अवमानना का केस दाखिल करंगे। कांग्रेस के विधायक बीते सप्ताह सिक्योरिटी हटाने को लेकर हाईकोर्ट में गुहार लगा चुके हैं।