चंडीगढ़ से डॉक्टरों की लापरवाही का एक मामला सामने आया है। जहां इलाज के लिए आए एक युवक को पीजीआई के डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जिसके बाद युवक के परिजन उसे मृत मानकर घर लाने की तैयारी करने लगे। लेकिन लोग उस वक्त आश्चर्यचकित रह गए जब घर ले जाते समय अचानक युवक जीवित हो गया। मृत घोषित होने के आठ घंटे बाद जब युवक होश में आया तो परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। फिलहाल अस्पताल प्रशासन द्वारा मामले में जांच करने की बात बताई जा रही है।
बता दें कि बरनाला के गांव पक्खोकलां के सिंगारा सिंह ने अपने पुत्र गुरतेज सिंह को पिछले दिनों एक आंख की रोशनी कम हो जाने के कारण बठिंडा के सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया था। लेकिन वहां डॉक्टरों ने उसके सिर में दूसरी बीमारी बताकर डीएमसी लुधियाना भेज दिया। जिसके बाद फिर उसे पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया। चंडीगढ़ पीजीआई में डॉक्टरों ने इलाज के दौरान गुरतेज को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद अस्पताल में औपचारिकता पूरी करने के बाद परिजन उसे गाड़ी से बरनाला के अपने गांव पक्खोकलां लाने की तैयारी करने लगे। लेकिन पीजीआइ से घर आते हुए रूड़का कलां में जब गाड़ी रोक मृत समझे जा चुके गुरतेज सिंह के कपड़े बदले जाने लगे तो पास बैठे लोगों को उसकी सांस चलने का आभास हुआ।
जैसे ही परिजनों को सांस चलने का आभास हुआ तो परिजनों ने पास से एक केमिस्ट को बुलाकर युवक का चेकअप कराया। जिसके बाद गुरतेज का ब्लड प्रेशर आदि चेक किया गया और उसे ठीक पाया गया। इस बीच गुरतेज ने अचानक आंखें खोल दीं। परिजन गुरतेज को तुरंत बरनाला के सिविल अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने उसका चेकअप किया और उसे जिंदा बताया। मामला तीन दिन पुराना बताया जा रहा है।
गुरतेज के पिता सिंगारा सिंह व मां परमजीत कौर के अनुसार वह उनकी इकलौती संतान है। उन्होने कहा कि गुरतेज के इलाज में अब तक लाखों रूपये खर्च हो चुके है। जैसे ही उन्हें गुरतेज के जिंदा होने की जानकारी मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मामले में गुरतेज के पिता सिंगारा सिंह ने कहा कि पीजीआई चंडीगढ़ में देर रात एक डॉक्टर ने उसके बेटे को मृत घोषित कर और शव ले जाने के लिए कहा था। लेकिन उन्हें बेटे का डेथ सर्टिफिकेट नहीं दिया गया। फिलहाल उन्हें उस डॉक्टर का नाम नहीं पता, जिसने उसके बेटे को मृत घोषित किया था।