एक ओर गुरुवार को नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस प्रदेश प्रमुख का ओहदा देने की घोषणा होते-होते रह गई क्योंकि तमाम वरिष्ठ पंजाब कांग्रेस नेताओं की ओर से इस पर नाराजगी जताई गई तो दूसरी ओर पार्टी प्रभारी हरीश रावत के कार्यालय की ओर से सिद्धू की नियुक्ति के आदेश की प्रति भी तैयार करा ली गई थी। खबर यह भी है कि आज मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को फोन कर दो टूक कह दिया कि यदि प्रदेश कांग्रेस की कमान सिद्धू के हाथों सौंपी गई तो वह आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने वाले।
इन सूरत-ए-हाल में पंजाब कांग्रेस में अब पहले दर्जे के घमासान की नौबत आ गई है। पता यह भी चला है कि पार्टी प्रभारी हरीश रावत शुक्रवार उड़नखटोले से चंडीगढ़ पहुंच रहे हैं। सिद्धू की ताजपोशी की सूरत में कैप्टन के इस्तीफे की पेशकश की खबरों का खंडन करते हुए मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार ने एक ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मुख्यमंत्री कैप्टन के इस्तीफे की पेशकश की खबरें झूठी हैं। उन्होंने न तो मुख्यमंत्री का पद छोड़ा है और न ही छोड़ने की पेशकश की है।’
वह वर्ष 2017 की ही तरह पंजाब विधानसभा चुनाव-2022 में भी पंजाब कांग्रेस को विजयश्री दिलाएंगे। मीडिया से आग्रह है कि ऐसी भ्रामक खबरों के प्रसारण से गुरेज करें।’
मुख्यमंत्री के एक प्रवक्ता का कहना है कि कैप्टन ने पहले ही कहा था कि वह ऐसे किसी भी कदम से निराश होंगे और पहले ही पार्टी को यह संदेश दे चुके हैं कि यदि सिद्धू को पीपीसीसी प्रमुख का ओहदा सौंपा गया तो वह पंजाब में कांग्रेस के विनाश का सबब होगा। उन्होंने कहा कि इसके बाद मसला आलाकमान पर छोड़ दिया गया।