पंजाब में कई किसान संगठनों ने मंगलवार को अपनी तमाम मांगों को पूरा नहीं करने को लेकर राज्य सरकार के विरोध में मोहाली से चंडीगढ़ की ओर मार्च किया। उनका कहना था कि राज्य की आम आदमी पार्टी की सरकार ने वादा किया था कि गेहूं के लिए 500 रुपए बोनस दिए जाएंगे, खुद मुख्यमंत्री ने इस पर सहमति जताई थी, लेकिन उसकी अधिसूचना अभी तक जारी नहीं की। इससे राज्य की आम आदमी पार्टी की सरकार मुश्किल में घिरती दिख रही है।

मार्च कर रहे किसानों ने मांग की कि “बासमती, मूंग पर एमएसपी के लिए अधिसूचना जारी की जाए। बिजली के प्रीपेड मीटर नहीं लगाए जाएं।” उन्होंने चेतावनी दी कि मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे चंडीगढ़ में दिल्ली जैसा किसान आंदोलन शुरू करेंगे। इस दौरान किसानों का पुलिस से टकराव भी हुआ। पंजाब पुलिस ने किसानों को मोहाली-चंडीगढ़ बार्डर पर आगे से बढ़ने से उनको रोक दिया। नाराज आंदोलनकारी किसानों ने पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ दीं। किसान अपने मुद्दों को लेकर चंडीगढ़ तक मार्च करने पर अड़े रहे।

केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दिया है। इससे विदेशों में तो हड़कंप मचा ही हुआ है, देश के अंदर भी इसका विरोध शुरू हो गया है। पंजाब के किसानों का कहना है कि सूखे की वजह से उनका काफी नुकसान हुआ है। लेकिन इसकी भरपाई के लिए उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला है। इससे वे नाराज हैं और अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।

किसानों का कहना है कि उन्हें पांच सौ रुपए प्रति कुंतल गेहूं के हिसाब से मुआवजा मिले, साथ ही सरकार गेहूं के निर्यात से प्रतिबंध हटाए। किसानों का कहना है कि प्रतिबंध से उन आढ़तियों को फायदा हो रहा है जिन्होंने पहले से ही उनसे गेहूं खरीद रखा है। दरअसल गेहूं बाहर भेजने पर प्रतिबंध से अब किसानों को अपने गेहूं कम कीमत पर बेचना होगा। अब सरकार ने गेहूं खरीद नियमों में कुछ ढील दी है, लेकिन जो किसान अपना गेहूं पहले ही बेच चुके हैं, उनको इससे भारी नुकसान होगा।

किसान संगठनों का कहना है कि सरकार की नीतियां किसान विरोधी हैं। वे इसे किसी भी हालत में सहन नहीं करेंगे। आंदोलन कर रहे किसानों के साथ 23 संगठनों के लोग शामिल हैं।