पंजाब के फरीदकोट जिले की एक अदालत ने 2015 के कोटकपुरा गोलीबारी मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की अग्रिम जमानत याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। हालांकि अदालत ने मामले में सुखबीर बादल के पिता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को राहत दे दी है। अकाली दल के दोनों वरिष्ठ नेताओं ने अग्रिम जमानत के लिए पिछले हफ्ते फरीदकोट की अदालत का रुख किया था। 14 मार्च को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फरीदकोट के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुखबीर बादल के अधिवक्ता अर्शदीप सिंह चीमा ने बताया कि अदालत ने पूर्व उपमुख्यमंत्री की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। उन्होंने कहा कि हालांकि, अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को अग्रिम जमानत दे दी है।
क्या था पूरा मामला
कोटकपुरा में 2015 के पुलिस गोलीबारी कांड की जांच कर रहे पंजाब पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने पिछले महीने फरीदकोट की एक अदालत में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुमेध सैनी और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
आरोप पत्र में सुखबीर बादल और सैनी को फरीदकोट में बेअदबी की तीन घटनाओं को लेकर राज्य सरकार की निष्क्रियता छिपाने के लिए ‘अवैध रूप से अत्यधिक बल प्रयोग की साजिश रचने वाले मास्टरमाइंड’ के रूप में नामित किया गया था।
सात हजार पन्नों के आरोप पत्र में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पर ‘साजिश में मदद करने’ का आरोप लगाया गया था।
बेअदबी की ये घटनाएं 2015 में फरीदकोट के बरगाड़ी में गुरु ग्रंथ साहिब की एक ‘बीर’ (प्रति) की चोरी, हस्तलिखित अपमानजनक पोस्टर लगाए जाने और पवित्र पुस्तक के फटे हुए पन्ने बिखरे पाए जाने से संबंधित हैं।
इन घटनाओं को लेकर राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए थे और पुलिस की गोलीबारी में फरीदकोट के बहबल कलां में गुरजीत सिंह और किशन भगवान सिंह नाम के दो लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कोटकपुरा में कुछ लोग घायल हुए थे।
अकाली दल ने बताई साजिश
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के मुख्य प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि जमानत अर्जी खारिज होने के बाद अब पार्टी अन्य कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है। उन्होने कहा “हम उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। शिअद नेतृत्व और हमारे समर्थक दोनों का दृढ़ विश्वास है कि इस प्राथमिकी में पूर्व सीएम और उनके डिप्टी के नाम शामिल करना सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध के अलावा और कुछ नहीं है। लेकिन हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है, और यकीन है कि इस चार्जशीट का भी वही हश्र होगा जो पूर्व एडीजीपी कुंवर विजय प्रताप सिंह द्वारा दायर की गई थी, जिसे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 9 अप्रैल, 2021 को खारिज कर दिया था।”