लुधियाना की एक छात्रा ने पंजाब बोर्ड की तरफ से घोषित 10वीं कक्षा के नतीजों में पूरे राज्य में पहला स्थान पाया है। लुधियाना के तेजा सिंह सुतानतार मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा नेहा वर्मा ने बुधवार (8 मई) को घोषित नतीजों में 99.54 फीसदी अंक हासिल किए। उन्हें 650 में से 647 अंक मिले। जितने अच्छे उन्होंने अंक हासिल किए हैं, उतनी ही मुश्किल उनकी जिंदगी की कहानी है। उनके पिता पवन कुमार ट्रक ड्राइवर हैं और उनके पास स्कूल के अतिरिक्त ट्यूशन क्लासेस के लिए 350 रुपए प्रति महीने लगने वाली फीस के पैसे भी नहीं थे।
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जब स्कूल के शिक्षकों ने नेहा को बताया कि वे पूरे राज्य में पहले नंबर पर आई हैं तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ। जब नतीजों का ऐलान हुआ तब उनके पिता काम से टूर पर गए थे। उन्हें बेटी की इस उपलब्धि के बारे में फोन पर जानकारी दी गई। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में नेहा ने कहा कि वो अपने पैरेंट्स और टीचर्स के प्रयासों को ऐसे ही व्यर्थ नहीं करना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने परीक्षा की तैयारियों में कड़ी मेहनत की थी।
चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी नेहा ने कहा, ‘मैंने कभी ट्यूशन ज्वॉइन नहीं की। न तो मुझे इसकी जरूरत थी और न ही मेरे पैरेंट्स के पास इसके लिए पैसे थे। वे मुझे स्कूल फीस देते थे और मेरे लिए पर्याप्त से अधिक था।’ लुधियाना की इस लड़की ने सेल्फ स्टडी पर ध्यान दिया और कभी भी स्कूल की छुट्टी नहीं रखी। नेहा ने कहा, ‘स्कूल की तरफ से होने वाली एक्स्ट्रा क्लासेस और परीक्षाएं बेहद मददगार होती थीं। इनके बाद किसी भी अतिरिक्त कोचिंग की जरूरत नहीं थी।’

नेहा के मुताबिक उन्होंने परीक्षा के पहले सोशल मीडिया का इस्तेमाल बंद कर दिया था। उसका कहना है, ‘आपको थोड़े आराम की भी जरूरत होती है। मैं रोज करीब आधे घंटे तक फेसबुक चलाती थीं लेकिन परीक्षा के एक हफ्ते पहले मैंने फेसबुक बंद करके अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाया।’ नेहा की मां जिया वर्मा कहती हैं कि उन्हें और उनके पति को अपनी बेटी पर गर्व है।
जिया बताती हैं, ‘मेरे पति 10 हजार रुपए महीना कमाते हैं। चार बच्चों के पालन-पोषण के लिए यह पर्याप्त नहीं होता। इसके बावजूद उनकी बेटी ने उन्हें गर्व करने का मौका दिया। वह 3-4 घंटे से ज्यादा नहीं सोती थी। स्कूल में वह एक्स्ट्रा क्लास पढ़ने के बाद 7 बजे तक घर आती थी। वह रविवार को भी स्कूल जाती थी और कभी छुट्टी नहीं लेती थी। जब फोन पर उसके पिता को इस उपलब्धि की जानकारी दी गई तो उन्हें जो खुशी हुई उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।’
जिया ने बताया कि उन्होंने स्कूल प्रबंधन से एक्स्ट्रा क्लासेस की फीस माफ करने की मांग की थी, जिसे मान लिया गया। उन्होंने कहा, ‘हमने बड़ी मुश्किल से 1200 रुपए उसकी फीस जमा कराई थी। हम स्कूल से मिली मदद के लिए उनके शुक्रगुजार हैं।’