पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अब एक महीने से भी कम का वक्त रह गया है। लेकिन जिले के नौ विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने सिर्फ दो सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है जबकि गठबंधन सरकार में शामिल भाजपा ने अपने कोटे के किसी भी सीट पर उम्मीदवारों के नाम का एलान नहीं किया है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री विजय सांपला ने कहा था कि दिसंबर के अंत तक प्रदेश के सभी 23 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया जाएगा।
हालांकि इसके बाद जलंधर आए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा था कि रणनीति बनाई जा रही है और उम्मीदवारों के नाम की घोषणा जल्द कर दी जाएगी। उन्होंने कोई समय सीमा बताने से इंकार कर दिया था।
प्रदेश में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन है। गठबंधन में भाजपा के खाते में 117 में से 23 सीटें हैं। इनमें जलंधर की तीन सीटें भी शामिल हैं। तीनों सीटों पर निवर्तमान विधानसभा में भाजपा का ही कब्जा है। जिले की बाकी छह सीटों पर शिअद ने अपने उम्मीदवारों का एलान पहले ही कर दिया है, लेकिन भाजपा ने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं।
दूसरी ओर पिछले दस साल से सत्ता से बाहर चल रही कांग्रेस ने नौ में से सिर्फ दो सीटों पर ही उम्मीदवारों की घोषणा की है।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार जलंधर में सीटों के ऐलान के बाद कांग्रेस में जम कर बगावत हो सकती है। जानकारों की माने तो जलंधर में उम्मीदवारों के नाम पर सहमति नहीं पाई है, क्योंकि अकाली दल के कई नेता कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। इनमें करतारपुर के विधायक सरवन सिंह फिल्लौर व जलंधर छावनी के विधायक परगट सिंह शामिल हैं। दोनों ने शिअद छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया था।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजत मोहिंद्रू का कहना है, ‘उम्मीदवारों के नाम का एलान जल्दी ही कर दिया जाएगा। पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं व नेताओं को ही टिकट देनी है। इस पर विचार-विमर्श चल रहा है और जल्द ही इसकी घोषणा कर दी जाएगी।’ यह पूछने पर कि अधिसूचना जारी होने में केवल छह दिन का समय बाकी रह गया है और उम्मीदवारों के नाम का एलान अब तक नहीं हुआ है तो क्या इससे कार्यकर्ताओं और नेताओं में भ्रम की स्थिति पैदा नहीं होगी, रजत ने कहा कि भ्रम की स्थिति दूसरी तरफ (कांग्रेस) है जो साफ झलक रही है। जहां यह तय नहीं हो सका है कि टिकट अपने कार्यकर्ताओं को दिया जाना चाहिए या बाहर से आए दूसरी पार्टी के कार्यकर्ताओं को।
दूसरी ओर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी में बगावत के आसार को देखते हुए बागियों को मनाने की कोशिश चल रही है। पार्टी का मानना है कि बागियों को मना कर ही उम्मीदवारों की सूची जारी की जाए। सबसे ज्यादा मुश्किल में जलंधर उत्तर, जलंधर छावनी, नकोदर और फिल्लौर क्षेत्र में है।
आम आदमी पार्टी और बसपा ने भी अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम का एलान कर चुकी हैं। हालांकि आप की सूची आने के बाद से ही जलंधर में विरोध प्रदर्शन जारी है।

राज्य में शिरोमणि अकाली दल और भाजपा गठबंधन लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की कोशिश में है। लेकिन सूब में 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के चार सीटें जीतने से राज्य में मुकाबला शिअद-भाजपा, कांग्रेस और आप के बीच हो गया है।

शिरोमणि अकाली दल
10 साल से सत्ता में रही इस पार्टी को इस बार सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है। पार्टी ने विकास को मुद्दा बनाने के साथ कांग्रेस और आप को घेरने की कोशिश भी की है। पार्टी को आंतरिक असंतोष का भी सामना करना पड़ रहा है। साथ में एक वरिष्ठ मंत्री के नशीली दवा रैकेट में नजदीकी रिश्ते को लेकर लगे आरोप से भी पार्टी मुश्किल में पड़ी हुई है।

कांग्रेस
10 साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस ने शिअद-भाजपा के नाकारे शासन से वापसी की उम्मीदें बांध रखी हैं। पार्टी के आप और सत्ताधारी गठबंधन की आक्रमकता का भी सामना करने पड़ रहा है। अमरिंदर पार्टी के केंद्रविंदु हैं हालांकि उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया गया है।

आप
केजरीवाल की पार्टी आप के पास यह साबित करने का मौका है कि वह दिल्ली की पार्टी नहीं है। हालांकि आप को बाहरी दल कहकर घेरने का प्रयास किया गया है।

’प्रकाश सिंह बादल (उम्र 89 साल, शिअद)
मुख्यमंत्री बादल इस पद पर विराजमान होने वाले देश में सबसे बुजुर्ग राजनेता हैं। वह पांच बार मुख्यमंत्री बन चुक हैं। इस बार उनकी वापसी में सत्ताविरोधी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।

’अमरिंदर सिंह (74 साल, कांग्रेस)
प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह पर कांग्रेस ने उम्मीदें टिका रखी हैं। 2014 में भाजपा के मुकाबले खराब प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस की एकमात्र उम्मीद कैप्टन ही हैं और पार्टी सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है।