Punjab : अमृतसर के अजनाला पुलिस स्टेशन पर तलवारों, डंडों और बंदूक से लैस समर्थकों के साथ अमृतपाल सिंह ने काफी हंगामा किया था। अगले ही दिन कोर्ट के आदेश पर अमृतपाल सिंह के सहयोगी लवप्रीत सिंह ‘तूफान’ को रिहाई भी मिल गयी थी।

इस पूरे मामले ने केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया है और अब ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का प्रमुख अमृतपाल सिंह जांच एजेंसियों की रडार पर है।

अमृतपाल सिंह खालिस्तान के अलगाववादी विचार को खुले तौर पर सामने रखते हुए समर्थन की बात करता है। वह जरनैल सिंह भिंडरावाले प्रेरणा का स्त्रोत बताता है।

यह मामला क्यों है इतना गंभीर ?

अमृतसर के अजनाला में थाना घेराव की घटना क्यों इतनी गंभीर तौर पर देखा जा रहा है, इसकी कई वजह है। एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी इस मामले को लेकर कहते हैं कि पैनिक होने का समय अभी नहीं आया है लेकिन यह अच्छे संकेत नहीं हैं।

वह कहते हैं कि ठीक इसी तरह भिंडरावाले का उदय हुआ था। हालांकि पंजाब में चरमपंथी हिंसा की भूख नहीं लगती है, फिर भी जो हुआ उसे याद रखना चाहिए। भिंडरावाले ने एक प्रमुख पत्रकार की हत्या कर दी थी। जैसे ही पुलिस ने उसका और उसके आदमियों का पीछा किया, उसके समूह ने दबाव बढ़ा दिया। सरकार ने आखिरकार घोषणा की कि मामले में भिंडरावाले के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। इसके बाद भिंडरावाले हीरो बन गया था।

दो साल के भीतर आया सुर्खियों में

किसान आंदोलन के दौरान 2020-2021 में अमृतपाल सिंह दुबई से भारत आया था। वह इन कानूनों के खिलाफ था। छोटे बालों के साथ क्लीन शेव एक 20 साल का नौजवान, जब कृषि कानूनों को सरकार ने वापस ले लिया, तो वह दुबई लौट गया था।

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अगस्त 2022 में वह वापस भारत आया। इस बार उसने अपनी दाढ़ी बढ़ा ली थी और पगड़ी भी पहनी थी। उसने ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन को अपने हाथ में लिया और आगे बढ़ता गया।

पंजाब पुलिस और केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अमृतपाल के कट्टरपंथी अतीत का कोई रिकॉर्ड नहीं है। अमृतसर जिले के बाबा बकाला डिवीजन के जल्लूपुर खेड़ा गाँव में पैदा हुआ और 12 साल की उम्र में दुबई चला गया था।

पंजाब पुलिस का कहना है कि यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि वह किसी भी तरह से दुबई या अन्य जगहों पर किसी कट्टरपंथी आंदोलन से जुड़ा था। लेकिन हमें संदेह है कि उसे कुछ बाहरी ताकतें सहारा दे रही हैं। लेकिन पंजाब पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के पास इस बात को साबित करने के लिए किसी भी तरह के पुख्ता प्रमाण मौजूद नहीं हैं।