Who is Amritpal Singh: ‘वारिस पंजाब दे’ नाम पिछले कुछ दिनों से एक बार फिर सुर्खियों में है। हिंदी में इसका मतलब ‘पंजाब के वारिस’ है। इस संगठन को 2021 में अभिनेता और कार्यकर्ता दीप सिद्धू ने शुरू किया था। सड़क हादसे में उसकी मौत के बाद इस इस संगठन का नेतृत्व अमृतपाल सिंह कर रहा है। वह खुद को खालिस्तान समर्थक आतंकवादी भिंडरावाले का स्वयंभू अनुयायी बताता है। कट्टरपंथी नेता अमृतपाल सिंह अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ गुरुवार को अमृतसर में अजनाला पुलिस स्टेशन के बाहर पुलिस से भिड़ गया। इस दौरान अमृतपाल के समर्थक तलवार और बंदूकें लहराते दिखाई दिए। वह अपहरण के एक मामले अपने साथी को पुलिस की हिरासत से छुड़ाने पहुंचे थे।
कौन है अमृतपाल सिंह?
29 साल का अमृतपाल सिंह खालिस्तान समर्थक आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का अनुयायी है। अमृतपाल को इन दिनों पंजाब में ‘भिंडरावाले 2.0’ कहा जा रहा है। अमृतपाल दुबई में रह रहा था लेकिन पिछले साल ‘वारिस पंजाब दे’ के संस्थापक दीप सिद्धू की मौत के बाद संगठन की बागडोर संभालने लौटा था।
क्या है ‘वारिस पंजाब दे’?
पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले 30 सितंबर 2021 को दीप सिद्धू ने ‘वारिस पंजाब दे’ नाम का संगठन बनाया था। इस संगठन के पंजाब के अधिकारी की रक्षा के लिए बनाया गया था। इस संगठन से काफी युवा जुड़े थे। दीप सिद्धू पहली बार किसान आंदोलन के दौरान सुर्खियों में आया था 26 जनवरी 2021 को गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले पर हुई हिंसा में उसका नाम सामने आया था। तब लाल किले पर सिख झंडा फहराया गया था। दीप सिद्धू ने इस संगठन को बनाने के पीछे पंजाब के हक की लड़ाई को आगे बढ़ाने को अपना उद्देश्य बताया था। दीप सिद्धू ने कहा कि उसके संगठन का कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है। यह संगठन चुनाव में उस पार्टी को समर्थन देगा तो पंजाब और उसके अधिकारों की बात करेगी। चुनाव में सिद्धू ने सिमरनजीत सिंह मान की खालिस्तान समर्थक पार्टी SAD का समर्थन किया और पंजाब चुनाव से पहले उनके लिए प्रचार भी किया। हालांकि 15 फरवरी 2022 को पंजाब में चुनाव से ठीक पहले सिद्धू की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई।
अमृतपाल सिंह कैसे बना ‘वारिस पंजाब दे’ का मुखिया?
29 सितंबर 2022 को ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन एक बार फिर सुर्खियों में आ गया जब भिंडरावाले की तरह दुबई से लौटे अमृतपाल ने इस संगठन के प्रमुख के तौर पर पदभार संभाला और मोगा जिले के रोड में एक ‘दस्तार बंदी’ समारोह आयोजित किया गया। बता दें कि मोगा में जरनैल सिंह भिंडरावाले का पैतृक गांव है। इस समारोह में हजारों लोगों की भीड़ शामिल हुई और खालिस्तान समर्थक नारे लगाए गए। अमृतपाल ने खुद को दीप सिद्धू के संगठन के प्रमुख के तौर पर घोषित कर दिया। हालांकि सिद्धू के घरवालों ने खुद को अमृतपाल से अलग कर लिया। दीप सिद्धू के परिवार वालों का कहना था कि उनके बेटे ने कभी भी अमृतपाल को संगठन के प्रमुख के तौर पर नियुक्त नहीं किया था। उन्हें नहीं पता कि दुबई से पैराशूट लैंडिंग करने वाले एक व्यक्ति ने अचानक ‘वारिस पंजाब डे’ की बागडोर कैसे संभाल ली।
लुधियाना के वकील और दीप सिद्धू के भाई मनदीप सिंह सिद्धू ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हम उनसे (अमृतपाल) पहले कभी नहीं मिले। दीप भी उनसे कभी नहीं मिला था। अमृतपाल कुछ समय तक फोन पर दीप के संपर्क में रहा लेकिन बाद में दीप ने उसे ब्लॉक कर दिया। हमें नहीं पता कि उसने खुद को मेरे भाई के संगठन का प्रमुख कैसे घोषित कर दिया। वह असामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए हमारे नाम का दुरुपयोग कर रहा है। अमृतपाल ने किसी तरह मेरे भाई के सोशल मीडिया अकाउंट्स को एक्सेस कर लिया और उन पर पोस्ट करना शुरू कर दिया।
वहीं अमृतपाल के चाचा हरजीत सिंह ने दावा किया कि सिद्धू के समर्थकों ने अमृतपाल को संगठन का प्रमुख बनाया था। हरजीत सिंह यूके से पंजाब लौटे थे। उन्होंने कहा कि हम नहीं जानते कि सिद्धू के भाई और परिवार इसका समर्थन क्यों नहीं कर रहे हैं। दूसरी तरफ मनदीप का कहना है कि अब एक ही नाम से दो समानांतर संगठन चल रहे हैं। मूल ‘वारिस पंजाब दे’ जिसे मेरे भाई ने बनाया था, उसके प्रमुख हरनेक सिंह उप्पल हैं। दूसरे का नेतृत्व अमृतपाल कर रहे हैं और हमारा इससे कोई संबंध नहीं है।