पुलवामा में हुए आतंकी हमले को 4 साल हो गए हैं। 14 फरवरी 2019 को जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकी ने पुलवामा में CPRF के जवानों को लेकर जा रहे एक वाहन को टक्कर मार दी थी। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। भारत ने इस हमले बदला लेते हुए पाकिस्तान पर बालाकोट एयरस्ट्राइक की थी। वहीं, चार साल बाद भी हमले में जान गंवाने वाले राजस्थान के तीन जवानों की पत्नियां सरकार की उदासीनता के खिलाफ धरने पर बैठी हैं।
सरकार हमारी बात नहीं सुनती- शहीद जवानों की विधवाएं
जयपुर में पुलिस कमिश्नरेट से कुछ ही दूरी पर शहीद स्मारक के एक कोने में मंजू लांबा और दो अन्य महिलाएं विरोध-प्रदर्शन के लिए बैठी हैं, जहां उन्होंने अपने आंसू पोंछते हुए धरना देने के कारणों के बारे में बताया। फरवरी 2019 में पुलवामा हमले में शहीद हुए 40 सीआरपीएफ जवानों में से एक रोहिताश लांबा की पत्नी मंजू कहती हैं, “जब मेरे पति शहीद हुए, तो जो मंत्री हमसे मिलने आए मीडिया, लोगों ने मेरे पति की प्रशंसा की। हमने सोचा कि हम अपने बच्चों को भी देश के लिए लड़ने भेजेंगे लेकिन हम हाथ जोड़कर कहते हैं कि हम अपने बच्चों को नहीं भेजेंगे।” उन्होंने कहा, “आज कोई साथ नहीं है हमारे, सरकार हमारी बात नहीं सुनती बल्कि हमें तितर-बितर करने के लिए पुलिस का इस्तेमाल करती है। जब हमारी आवाज नहीं सुनी जाती है तो वे हमें वीरांगना क्यों कहते हैं?”
परिवार के सदस्यों को अब तक नहीं मिली सरकारी नौकरी
राजस्थान के शहीद सीआरपीएफ जवानों रोहिताश लांबा, मराज मीणा और जीत राम गुर्जर की पत्नियां मंजू, मधुबाला मीना और सुंदरी गुर्जर शहीद स्मारक पर अपनी बात रखने के लिए धरना दे रही हैं। हमले के बाद राज्य सरकार ने उनसे किए गए वादों को पूरा नहीं किया है। इस दौरान मंजू ने कहा, “राजस्थान सरकार के कई मंत्री मेरे पति के अंतिम संस्कार के लिए हमारे गांव गोविंदपुरा-बसरी आए थे। देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले मेरे पति के लिए गांव में एक स्मारक बनाने के साथ मेरे देवर जितेंद्र लांबा को सरकारी नौकरी देने का वादा किया गया था लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ है।”
शहीद मराज की विधवा मधुबाला ने कहा, “मुझसे सरकार ने वादा किया था कि सांगोद के अदालत चौराहा में मेरे पति की एक मूर्ति स्थापित की जाएगी और हमारे गांव के स्कूल का नाम उनके नाम पर रखा जाएगा लेकिन आज तक ये वादे पूरे नहीं किए गए हैं। ये कोई बड़ी मांग नहीं हैं। हमने मंत्रियों से मिलने की कोशिश की है, जो हमें घंटों बिठाते हैं।” शहीद जीत राम गुर्जर की पत्नी सुंदरी गुर्जर ने कहा कि वह भरतपुर से अपने देवर को सरकारी नौकरी और पति के नाम का स्मारक बनवाने की मांग को लेकर जयपुर आई हैं।
भाजपा नेता ने किया समर्थन
शहीद जवानों की पत्नियों के साथ भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा धरने पर बैठे हैं। उन्होंने कहा, “जब शांति धारीवाल, प्रताप सिंह खाचरियावास, लालचंद कटारिया, प्रमोद जैन भाया, टीकाराम जूली और ममता भूपेश जैसे मंत्री तीनों शहीदों के अंतिम संस्कार में मौजूद थे, तो सरकार ने अपने वादों को पूरा क्यों नहीं किया? कल हम मुख्यमंत्री से मिलने विधानसभा गए थे लेकिन हमें अनुमति नहीं दी गई। पुलिस ने हमारे कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की। ये महिलाएं, जिन्होंने देश के लिए अपने पति को खो दिया है, आज न्याय के लिए दर-दर भटक रही हैं।”
पुलवामा अटैक के बाद भारत ने की थी बालाकोट एयरस्ट्राइक
पुलवामा में पाकिस्तान समर्थित जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर द्वारा सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाकर किए गए हमले में सीआरपीएफ के करीब 40 जवान शहीद हो गए थे। CRPF के काफिले में 78 बसें थीं। इस काफिले में सीआरपीएफ के लगभग 2500 जवान जम्मू से श्रीनगर की यात्रा कर रहे थे। हालांकि भारत ने महज 12 दिनों में ही पाकिस्तान से बदला ले लिया था। भारत ने 26 फरवरी 2019 को बालाकोट एयरस्ट्राइक कर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को ढेर कर दिया था।