पुडुचेरी विधानसभा चुनाव में इस बार भी जीत दर्ज कर मुख्यमंत्री एन रंगासामी एक बार फिर से इस केंद्र शासित प्रदेश की सत्ता संभालने और चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद लगाए हुए हैं। लेकिन अन्नाद्रमुक के अलग चुनाव लड़ने और द्रमुक-कांग्रेस गठबंधन के कारण उनकी राह आसान नहीं लगती है। पुडुचेरी की कुल 30 सीटों के लिए बीती 16 मई को मतदान हुआ। इस केंद्र शासित प्रदेश के 4.94 लाख महिलाओं समेत 9.41 लाख मतदाताओं ने 96 निर्दलीय उम्मीदवारों सहित 344 उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद कर दिया था।

इस चुनाव में मुख्यमंत्री व एआइएनआरसी संस्थापक एन रंगासामी, विपक्ष के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री वी वैतिलिंगम (कांग्रेस), पीसीसी नेता ए नमाशिवायम और पुडुचेरी विधानसभा के अध्यक्ष वी सबापति समेत कई महत्त्वपूर्ण उम्मीदवार मैदान में हैं। रंगासामी की कैबिनेट में उनके चार सहयोगी पीआर शिवा, टी त्यागराजन, पी राजावेलु और एनजी पन्नीरसेल्वम एआइएनआरसी उम्मीदवार के तौर पर अपनी सीट बचाने के लिए लड़ रहे हैं। रंगासामी की कैबिनेट में उनके एक अन्य सहयोगी एम चंद्रकासु ने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था। उनकी बेटी चंद्रप्रियंका एआइएनआरसी उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में हैं।

कांग्रेस को छोड़कर इस साल फरवरी में अन्नाद्रमुक में शामिल हुए पूर्व गृह मंत्री पी कन्नान राज भवन सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार व पूर्व शिक्षा मंत्री के लक्ष्मीनारायणन को चुनौती दे रहे हैं। सभी निर्वाचन क्षेत्रों में से औलगारेट सीट के लिए सर्वाधिक 17 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। एआइएनआरसी, भाजपा और पीएमके अकेले चुनाव लड़ रही हैं जबकि कांग्रेस और द्रमुक ने गठबंधन किया है। कांग्रेस ने 21 और द्रमुक ने शेष सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ई वलसाराज (कांग्रेस) और पूर्व राजस्व मंत्री मल्लाडी कृष्णा राव (कांग्रेस) क्रम से माहे और यनम सीटों पर अपनी जीत बरकरार रखने के लिए चुनावी मैदान में है। माहे केरल में एक बस्ती है और यनम आंध्र प्रदेश में एक बस्ती है।

2011 के विधानसभा चुनाव में रंगासामी की ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस और जयललिता की अन्नाद्रमुक ने गठबंधन किया था। एआइएनआरसी को 15 और अन्नाद्रमुक को पांच सीटें हासिल हुई थीं। कांग्रेस को सात और द्रमुक को दो सीटें मिली थीं। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुआ था। पुडुचेरी में इस बार रंगासामी के लिए राह पहले की तरह आसान नहीं रहने वाली है क्योंकि अन्नाद्रमुक इस बार अलग है और कांग्रेस व द्रमुक साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं।