दिल्ली के ऐतिहासिक किले राय पिथौरागढ़ की दीवार का एक बड़ा हिस्सा हाल ही में शुक्रवार की रात भारी बारिश के कारण ढह गया। गनीमत यह रही कि इस घटना में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, क्योंकि उस वक्त किले के आसपास कोई नहीं था। लेकिन यह हादसा एक गंभीर सवाल खड़ा करता है कि क्या भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इस किले के संरक्षण के लिए उचित कदम उठाए हैं?

किला राय पिथौरागढ़, जिसे अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने विस्तार दिया था, दिल्ली सरकार के संरक्षण का उद्देश्य था। हाल ही में दिल्ली के संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा ने किले का दौरा किया था और उसके संरक्षण की दिशा में कदम उठाने की बात कही थी, लेकिन अब तक इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इस दीवार का हिस्सा, जो गिरा है, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के गोल्फ कोर्स के पास स्थित है। बताया जा रहा है कि यह हिस्सा एएसआइ द्वारा संरक्षित किया गया था और उसके गिरने के बावजूद एएसआइ द्वारा अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। किला राय पिथौरागढ़ का एक अन्य हिस्सा भी पिछले सप्ताह गिर चुका था, जिसे समय-समय पर संरक्षित करने की अनदेखी की वजह से हुआ।

पृथ्वीराज चौहान ने किया था विस्तार

विशेषज्ञों और जनता का मानना है कि इस किले के संरक्षण के लिए एएसआइ को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके और इस ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित किया जा सके।

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किला राय पिथौरागढ़ का ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है। इसका निर्माण पहले राजपूत तोमर शासक अनंगपाल तोमर ने 1052-1060 ईस्वी के बीच किया था। इसे दिल्ली का पहला शहर कहा जाता था और बाद में पृथ्वीराज चौहान ने इसका विस्तार किया और इसे नया नाम किला राय पिथौरागढ़ दिया। 1990 के दशक में यहां हुए उत्खनन से कई महत्त्वपूर्ण अवशेष मिले थे, जो दिल्ली के प्रारंभिक इतिहास को दर्शाते हैं।