बिहार में आगामी चुनाव में अभी जरूर कुछ समय बचा हुआ है, लेकिन सभी पार्टियों ने कमर कस रखा है। पिछले दो सालों से प्रदेश में पद यात्रा कर रहे प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज को चुनाव चिन्ह मिल गया है। निर्वाचन आयोग ने स्कूल बैग को उनका चुनाव निशान बनाया है। इसको लेकर पीके ने कहा कि हमारा ध्यान शिक्षा और रोजगार पर है इसी वजह से स्कूल बैग हमारा चुनाव निशान है। अब देखना दिलचस्प होगा कि पीके स्कूल बैग लेकर एनडीए और महागठबंधन के लिए कितनी चुनौती बनने वाले हैं।
निर्वाचन आयोग ने बीते मंगलवार को इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों के लिए प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को चुनाव चिन्ह के रूप में “स्कूल बैग” आवंटित किया। आगामी चुनाव को लेकर पीके ने ऐलान किया है कि जन सुराज प्रदेश की सभी 243 सीटों पर अपना प्रत्याशी उतारेगी और दमखम के साथ चुनाव लड़ेगी। इसके साथ ही पीके ने ये कहा है कि जन सुराज प्रदेश में आरजेडी और जेडीयू के विकल्प के रूप में जनता के सामने होगी।
बेरोजगारी दूर का शिक्षा सबसे बड़ा हथियार
चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हुए किशोर ने कहा, “हमारा पूरा ध्यान शिक्षा और रोजगार पर है और इसलिए स्कूल बैग हमारा चुनाव चिन्ह है।” ” बीते 35 सालों से लालू प्रसाद और नीतीश कुमार शासन में हैं। दोनों के शासन में बिहार के बच्चों की पीठ से स्कूल बैग हटाकर उन पर श्रम की बोरी बांध दी गई है।”
किशोर ने आगे कहा कि जन सुराज का मानना है कि शिक्षा गरीबी को खत्म करने, रोजगार पैदा करने और बिहार से पलायन को रोकने की सबसे बड़ी चाबी है। उन्होंने कहा, “बिहार में गरीबी को खत्म करने के लिए शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी का चिन्ह पार्टी की मुख्य प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
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पिछले साल 2024 में प्रशांत किशोर ने जन सुराज का गठन किया था। इसके पहले किशोर ने बिहार भर में अपनी दो साल की पदयात्रा की। उनकी पदयात्रा अभी जारी है। उन्होंने प्रदेश की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना की घोषणा की है और खुद को जदयू, राजद, बीजेपी और कांग्रेस जैसी स्थापित पार्टियों के विकल्प के रूप में पेश किया है।
साल 2020 में हुए विधानसभा चुनावों की बात करें तो राज्य की 243 विधानसभा सीटों में राजद सबसे बड़ी पार्टी बनी और 75 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं 74 सीट जीतकर बीजेपी नंबर दो पर रही। जदयू ने 43, कांग्रेस ने 19 जीतने में कामयाब रही। जिसके बाद एनडीए ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकारी बनाई। 2024 में हुए लोकसभा में एक बार फिर माहौल एनडीए के पक्ष में ही रहा और गठबंधन को 30 सीटों पर जीत हासिल हुई।
उपचुनाव में जन सुराज नही खुला खाते
लोकसभा के बाद बिहार में 4 सीटों पर उपचुनाव हुए जिसमें पीके के नेतृत्व वाली जन सुराज पहली बार जनता के बीच गई। हालांकि तब तक उसे चुनाव निशान नहीं आवंटित था तो पार्टी के उम्मीदवार को निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव के लिए एक कॉमन निशान तय किया था जिसके बाद सभी प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे। हालांकि किसी भी सीट पर जन सुराज को जीत नहीं मिली।
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तरारी विधानसभा में जन सुराज प्रत्याशी किरण सिंह तीसरे नंबर पर रहीं और उन्हें महज 5622 वोट मिले जबकि विजय प्राप्त करने वाले बीजेपी विधायक विशाल प्रशांत को 78,755 वोट मिले थे। वहीं रामगढ़ विधानसभा में जन सुराज के उम्मीदवार सुशील सिंह चौथे नंबर थे। उन्हें 6513 वोट मिले थे। जबकि विजेता बीजेपी विधायक अशोक सिंह को 62,257 वोट मिले। वहीं इमामगंज में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की बहू दीपा कुमारी 53,435 वोट पाकर विधायक बनीं, जन सुराज उम्मीदवार जितेंद्र पासवान 37,103 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। वहीं चौथे बेलागंज विधानसभा की बात करें तो जदयू की मनोरमा देवी 73,334 वोट पाकर विधायक बनीं, जबकि तीसेर नंबर पर रहे जन सुराज के मोहम्मद अमजद को 17,285 वोट मिले थे।
अब प्रशांत किशोर पहले से और भी ज्यादा आक्रामक नजर आ रहे हैं। उनके निशाने पर जहां एक तरफ लालू परिवार है, तो वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ खूब सियासी तीर चला रहे हैं। देखना दिलचस्प होने वाला है कि आगामी चुनाव में प्रशांत किशोर का प्रदर्शन कैसा रहने वाला है तथा वो एनडीए तथा महागठबंधन में से किसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।