Nabanna Abhiyan: पश्चिम बंगाल में नाबन्ना मार्च के दौरान हुई हिंसक घटनाओं के दो दिन बाद गुरुवार को विधानसभा का सत्र काफी हंगामेदार रहा। इस दौरान टीएमसी और बीजेपी के बीच जमकर झड़प हुई और विधायक हाथों में पोस्टर लेकर एक-दूसरे पर आरोप लगाते नजर आए।
विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले और पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार के बारे में बात करने के लिए स्थगन प्रस्ताव की मांग की। हालांकि, अध्यक्ष ने यह कहते हुए प्रस्ताव को ठुकरा दिया कि यह विचाराधीन है।
वहीं, सुवेंदु की इस मांग पर टीएमसी ने सुवेंदु अधिकारी को घेरा और पोस्टर लेकर उन पर तंज कसे। अधिकारी को निशाने पर लेते हुए इन पोस्टर में लिखा था- “मेरे शरीर को मत छुओ”। दरअसल, नाबन्ना मार्च के दौरान सुवेंदु अधिकारी को हिरासत में लिया गया था, तब उन्होंने एक महिला पुलिस अधिकारी से कहा था कि उन्हें ना छुएं। इसे लेकर ही तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी नेता पर हमला बोला है।
टीएमसी की इस टिप्पणी को बीजेपी ने निंदनीय बताया है। बीजेपी विधायक अग्निमित्र पॉल ने कहा कि टीएमसी की यह टिप्पणी काफी ज्यादा भद्दी है। उन्होंने कहा कि हमें प्रधानमंत्री ने यह नहीं सिखाया है कि किसी पर इस तरह की टिप्पणी करें।
वहीं, सुवेंदु अधिकारी का कहना है कि सत्तारूढ़ टीएमसी ने एक महिला पुलिस अधिकारी को सिविल ड्रेस में रखा ताकि उनके खिलाफ छेड़छाड़ का मामला दर्ज हो सके। यह बंगाल की संस्कृति नहीं है कि किसी पर इस तरह की टिप्पणी की जाए, लेकिन यह ममता बनर्जी की टीएमसी की संस्कृति है।
वहीं, टीएमसी ने दावा किया कि वह जांच एजेंसियों द्वारा की जा रही कार्रवाई का विरोध कर रहे थे, क्योंकि जो असली चोर हैं उन्हें नहीं पकड़ा जा रहा है। ममता बनर्जी की सरकार में वरिष्ठ मंत्री डॉ शशि पांजा ने कहा, “कानून सभी के लिए समान है। सुवेंदु एक महिला अधिकारी के बारे में क्या कह रहे हैं? कानून जेंडर न्यूट्रल है। हम विरोध कर रहे हैं क्योंकि चोर पकड़े नहीं जा रहे हैं। सुवेंदु खुद भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।”