RSS Chief Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर हेडक्वार्टर में बुधवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत विजय दशमी समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर पर्वतारोही संतोष यादव, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उपस्थित रहे। इस दौरान मोहन भागवत ने कहा कि जनसंख्या नीति सोच-विचार के बाद बने और सभी पर समान रूप से लागू हो।
RSS प्रमुख ने कहा, “यह सही है कि जनसंख्या जितनी अधिक उतना बोझ ज़्यादा। जनसंख्या का ठीक से उपयोग किया तो वह साधन बनता है। हमको भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 वर्षों के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है। इसलिए जनसंख्या की एक समग्र नीति बने और वह सब पर समान रूप से लागू हो।”
समग्र जनसंख्या नीति की जरूरत: मोहन भागवत ने कहा, “जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है। जनसंख्या नियंत्रण और धर्म आधारित जनसंख्या संतुलन एक छोटा विषय है जिसे अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है इसलिए एक समग्र जनसंख्या नीति लाई जानी चाहिए और सभी पर समान रूप से लागू होनी चाहिए।
आरएसएस प्रमुख ने नागपुर में कहा, “मंदिर, जल और श्मशान भूमि सबके लिए समान होनी चाहिए। हमें छोटी-छोटी बातों पर नहीं लड़ना चाहिए। इस तरह की बातें जैसे कोई घोड़े की सवारी कर सकता है और दूसरा नहीं कर सकता, समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए और हमें इस दिशा में काम करना होगा।”
नई शिक्षा नीति से छात्र संस्कारी, अच्छे इंसान बनें: मोहन भागवत ने कहा, “यह एक मिथक है कि करियर के लिए अंग्रेजी महत्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति से छात्र उच्च संस्कारी, अच्छे इंसान बनें जो देशभक्ति से भी प्रेरित हों, यही सबकी इच्छा है। समाज को इसका सक्रिय रूप से समर्थन करने की जरूरत है।” उन्होंने कहा, “रोजगार मतलब नौकरी और नौकरी के पीछे ही भागेंगे और वह भी सरकारी। अगर ऐसे सब लोग दौड़ेंगे तो नौकरी कितनी दे सकते हैं? किसी भी समाज में सरकारी और प्राइवेट मिलाकर ज़्यादा से ज़्यादा 10, 20, 30 प्रतिशत नौकरी होती है। बाकी सब को अपना काम करना पड़ता है।”
महिलाओं के बिना समाज आगे नहीं बढ़ सकता: आरएसएस प्रमुख भागवत ने विजयदशमी रैली पर कहा, “हमें अपनी महिलाओं को सशक्त बनाना होगा। महिलाओं के बिना समाज आगे नहीं बढ़ सकता। जो सब काम मातृ शक्ति कर सकती है वह सब काम पुरुष नहीं कर सकते। इतनी उनकी शक्ति है और इसलिए उनको इस प्रकार प्रबुद्ध, सशक्त बनाना, उनका सशक्तिकरण करना और उनको काम करने की स्वतंत्रता देना और कार्यों में बराबरी की सहभागिता देना अहम है।”