गांधीनगर नगर निगम चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच में टाई की स्थिति बन गई है। दोनों पार्टियों ने 16-16 सीटों पर कब्जा जमाया है। ऐसे चुवान परिणाम के बाद मेयर का चुनाव करना प्रशासन के लिए काफी मुश्किल होने जा रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बात करते हुए बताया, ” गुजरात प्रोविंशियल म्युनिसिपल एक्ट के तहत जितना जल्दी संभव हो कमीश्नर चुने हुए जन प्रतिनिधियों को एक बैठक बुलाएंगे। बैठक में वोट के द्वारा मेयर का चुनाव किया जाएगा। टाई की स्थिति में ड्रा चिट के जरिए उम्मीदवार का चयन किया जा सकता है।” इससे पहले 2011 में 33 सीटों के लिए म्युनिसिपल चुनाव हुए थे। जिसमें से कांग्रेस को 18 और बीजेपी को 15 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि बाद में कांग्रेस के तीन पार्षद जिनमें तत्कालिन मेयर माहेंद्र सिंह राणा भी शामिल थे। कांग्रेस को छोड़ कर बीजेपी में आ गए थे। हालांकि राणा इस बार वार्ड न. 3 से चुनाव हार गए।

चुनाव से पहले पटेल समाज द्वारा चलाए गए आरक्षण आंदोलन के कारण बीजेपी को हार का डर सता रहा था। पटेल-पाटीदार समाज बीजेपी का बड़ा वोट बैंक माना जाता है। बीजेपी से नाराजगी के चलते इस चुनाव में पार्टी के नुकसान की उम्मीद थी। लेकिन सभी सीटों में से पाटीदार समाज के सिर्फ 7 उम्मीदवार ही चुनाव जीते हैं जिनमें से 4 बीजेपी की टिकट पर और 3 कांग्रेस की तरफ से विजयी हुए हैं।