जम्मू कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री विकास पैकेज (पीएमडीपी) की घोषणा के करीब पांच साल बाद 54 परियोजनाओं (लद्दाख को छोड़कर) के लिए आवंटित धन का सिर्फ 49 फीसदी ही इस्तेमाल किया गया है। जुलाई में प्रशासन द्वारा की गई समीक्षा में ये जानकारी सामने आई है। समीक्षा में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख को विभाजित किया गया है।

जम्मू-कश्मीर के लिए आवंटित 58,627 करोड़ रुपए में से केवल 28,768 करोड़ रुपए का इस्तेमाल किया गया है। इस पैकेज की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 नवंबर, 2015 को श्रीनगर में एक रैली के दौरान की थी। जम्मू-कश्मीर तब एक पूर्ण राज्य था, जहां मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार थी।

पिछले पांच सालों में सिर्फ 9 परियोजनाएं पूरी तरह से संपूर्ण हुई हैं और आठ और जम्मू-कश्मीर में काफी हद तक पूरी हो गई हैं। इन 17 परियोजनाओं का कुल खर्च 10,465 करोड़ रुपए था, जो केंद्र शासित प्रदेश के लिए कुल पैकेज के पांचवें हिस्से से भी कम है। हालांकि 31 परियोजनाओं में से अधिकांश चालू हैं और दो धीमी गति से चल रही हैं, इसके अलावा चार डीपीआर स्तर पर हैं। जो डीपीआर स्तर पर हैं उनमें स्मॉल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट (PMDP खर्च 2,000 करोड़ रुपए), भारत माला प्रोजेक्ट (2,700 करोड़ रुपए) झेलम नदी का बाढ़ प्रबंधन पार्ट-2 के लिए (1,178 करोड़ रुपए) और सुधामहदेव गोहा सुरंग के लिए (PMDP 2,100 करोड़ रुपए) शामिल हैं।

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यूटी प्रशासन के अधिकारियों ने जून 2018 (जब जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था) में कहा कि पीएमडीपी के तहत जारी धनराशि 26 फीसदी थी। जो अब बढ़कर 49 फीसदी हो गई है। नाम ना जाहिर करने की गुजारिश करते हुए अधिकारी ने ये बात कही।

बता दें कि पिछले दो सालों में पूरी हुईं परियोजनाओं की संख्या सात से बढ़कर नौ हो गई है। जबकि जून 2018 में लगभग नौ परियोजनाओं को किन्ही कारणों से शुरू नहीं किया जा सका था। हालांकि अब ऐसी सभी परियोजनाओं पर काम शुरू हो गया है।