Jawaharlal Nehru University: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस शुरू करने की प्लानिंग कर रहा है। यह अखंड भारत की अवधारणा और हिंदवी स्वराज के लिए उनके संघर्ष को समझने के युग की शुरुआत करेगा। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में छत्रपति शिवाजी महाराज सिक्योरिटी एंड स्ट्रैटेजिक को महाराष्ट्र की सरकार की तरफ से मदद दी जाएगी। इन सभी सब्जेक्ट के अलावा, मराठा मिलिट्री हिस्ट्री, शिवाजी नेवल स्ट्रैटेजी और गुरिल्ला युद्ध के विषय पर भी पढ़ाया जाएगा।
ऐसे आसार हैं कि यह केंद्र जुलाई 2025 से डिप्लोमा, अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट के कोर्स शुरू करेगा। जेएनयू में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के डीन प्रोफेसर अमिताभ मट्टू ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह सेंटर शुरू करने का विचार कुलपति और फेकल्टी मेबंर का था। महाराष्ट्र सरकार भी छत्रपति शिवाजी महाराज की सोच और उनकी रणनीतियों को याद करना चाहती थी।
शिवाजी महाराज को क्यों चुना गया
शिवाजी को क्यों चुना गया जब उनसे यह सवाल किया गया तो मट्टू ने कहा कि इसका मकसद सिक्योरिटी और रणनीति को सिखाना है। हम रूसी और चीनी विचारकों के बारे में पढ़ाते हैं। हम कौटिल्य और चाणक्य के बारे में भी पढ़ाते हैं। हम शिवाजी महाराज और उनकी जानी-मानी रणनीतिक सोच को भी इसमें शामिल करना चाहते थे। ऐसा इस वजह से ताकि स्टूडेंट्स को काफी फायदा मिल सके।
जेएनयू कराएगा जाति आधारित गणना, छात्रों के प्रदर्शन के बाद प्रशासन का बड़ा फैसला
छह कोर्स पढ़ाए जाने का प्रस्ताव
इस प्रस्ताव के नोट में कहा गया है कि छत्रपति शिवाजी महाराज का हिंदवी स्वराज या स्वशासन के लिए संघर्ष इस बात का एक मुख्य उदाहरण है कि भारत अपनी रणनीतिक संस्कृति को कैसे आकार दे सकता है। राष्ट्र के निर्माण में उनका काफी दूरदर्शी था। शिवाजी महाराज के बारे में पढ़कर भारत कूटनीतिक और रणनीतिक तौर पर सबक सीख सकता है। इस नोट में कहा गया कि शिवाजी के मिलिट्री इनोवेशन जैसे गनीमी कावा किलेबंदी और नौसेना विस्तार काफी आगे थे। छह कोर्स को पढ़ाए जाने का प्रस्ताव है। इसमें मराठा ग्रेंड स्ट्रैटेजी, गुरिल्ला कूटनीति, विषम युद्ध के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण, शिवाजी महाराज और उसके बाद की शासन कला और शासन कौशल भी इसमें शामिल हैं।
इस प्रस्ताव में कितने पद होंगे
इस नोट में यह कहा गया है कि इसका मकसद शिवाजी के नेतृत्व, प्रशासनिक और कूटनीतिक गुणों पर ध्यान देना है । उन्होंने नए भारत के विकास में अहम भूमिका निभाई है। इस प्रस्ताव के मुताबिक, सेंटर में एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर और चार असिस्टेंट प्रोफेसर समेत 14 पद होंगे। साथ ही इसमें एक प्रशासनिक ब्लॉक, आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर लैब, एक लाइब्रेरी और रीडिंग हॉल शामिल होगा। साथ ही स्टेट ऑफ आर्ट म्यूजियम भी बनाया जाएगा।