Pilibhit Killer Tigress: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के 15 गांवों के 18 सरकारी स्कूलों को एहतियात के तौर पर बंद कर दिया गया है। क्योंकि एक बाघिन पर तीन लोगों की हत्या करने का संदेह है। हाल ही में 17 जुलाई को बिथरा मंदारिया में एक महिला को बाघिन ने मार डाला था। हालांकि, कई कोशिशों के बाद भी अभी तक बाघिन को पकड़ा नहीं जा सका है।
प्रभागीय वन अधिकारी भरत कुमार डीके के अनुरोध और ज़िला मजिस्ट्रेट ज्ञानेंद्र सिंह की अनुमति के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी अमित कुमार सिंह ने शनिवार को स्कूल बंद करने का आदेश दिया। यह सभी स्कूल तब तक बंद रहेंगे, जब तक बाघिन पकड़ में नहीं आती है।
पिंजरों, चारे और गश्ती दलों का उपयोग करके बाघिन को पकड़ने के कोशिश अब तक विफल साबित हुई है। माना जा रहा है कि बाघिन गन्ने और धान के खेतों से चुपके से निकल जाती है। अपर प्रधान मुख्य संरक्षक (प्रोजेक्ट टाइगर) ललित वर्मा और बरेली जोन के मुख्य संरक्षक पीपी सिंह सहित वरिष्ठ वन अधिकारी इलाके में डेरा डाले हुए हैं।
अधिकारियों ने बाघिन को गोली मारने का मांगा आदेश
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, हमले के बाद वन अधिकारियों ने बाघिन को गोली मारने के लिए राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से अनुमति लेने के लिए बातचीत शुरू कर दी है। 18 जुलाई को जिला मजिस्ट्रेट ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया था कि इस मामले पर पीटीआर के क्षेत्रीय निदेशक रमेश चंद्रा से चर्चा की गई है, जो आगे की कार्रवाई से पहले बाघिन के केस हिस्ट्री की समीक्षा कर रहे हैं।
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बाघिन को आखिरी बार शनिवार को डंडिया गांव में देखा गया था, जो हालिया हमले वाली जगह से लगभग 2 किलोमीटर दूर है। तीनों मौतें पीलीभीत टाइगर रिजर्व की माला रेंज के पास 5 किलोमीटर के दायरे में हुई हैं।
बाघिन के पैरों के निशान देखे गए
पीटीआर के डीएफओ मनीष सिंह ने कहा कि हमें बाघिन के पैरों के निशान मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि वह खकरा नदी पार करके डांडिया पहुंची थी, लेकिन फसल नुकसान की आशंका वाले किसानों के कड़े विरोध के कारण हाथियों से तलाशी अभियान रोकना पड़ा। अब हम इसके बजाय संशोधित ट्रैक्टरों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
किसान लंबे समय से तलाशी अभियान के दौरान हाथियों के इस्तेमाल का विरोध करते रहे हैं, क्योंकि राज्य सरकार हाथियों की आवाजाही से होने वाले फसल नुकसान के लिए कोई मुआवज़ा नहीं देती। सिंह ने कहा कि हमने वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष यह मुद्दा उठाया है और नीति में बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं। इस बीच सुरक्षा संबंधी सलाह देने के लिए प्रभावित गांवों में आठ ई-रिक्शा तैनात किए गए हैं।