वैसे तो सैफई महोत्सव के कई रंग दिख रहे हैं लेकिन फाग का सैफई महोत्सव में अपना अलग ही महत्त्व है। बुधवार को महोत्सव में फाग का भी जलवा देखने को मिला। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को फाग बेहद प्रिय हैं। उन्होंने खुद ही इसे सैफई महोत्सव में जुड़वाया था। इसके बाद से आज तक लगातार सैफई महोत्सव में फाग की धमक कायम है।

दो दिनी फाग गायन स्पर्धा के समापन मौके पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने फाग गायन की विधा में युवाओं की दिलचस्पी की जम कर तारीफ की। उन्होंने कहा कि युवा के बलबूते पर फाग गायकी का भविष्य हमेशा उज्जवल बना रहेगा। मालूम हो कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के सर्वप्रिय कार्यक्रमों मे से फाग भी एक है। ऐसा शायद ही होता हो कि वे महोत्सव के दौरान आयोजित फाग सुनने न आते हो। फाग उत्तर प्रदेश का एक लोक गायन है जिसमें हिंदू देवी देवताओं, रामायण, महाभारत आदि के काव्य का बखान कविता के रूप में होता है। फाग का गायन प्रदेश के इटावा सहित मैनपुरी, फिरोजाबाद, एटा, कन्नौज, फर्रुखाबाद व औरैया में भी गाया जाता है। इस साल भी शुरू हुए कार्यक्रम में इन सभी जनपदों की टीमें फाग गायन कर रही हैं। इस बार कई जिलों की लगभग 20 टीमें हिस्सा ले रही हैं।

आयोजक सैफई गांव के उप प्रधान रामगोपाल यादव ने बताया है कि चूंकि इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोक कला को जीवित रख कर लोगों की उसमें रुचि बनाए रखना है इसलिए प्रतिभाग करने वाले सभी फागुओं को सम्मानित किया जाएगा। मुन्नी लाल का कहना है कि फाग गायन से सब एकजुट होते हैं और लोगों में सामाजिकता का इजाफा होता है।

सैफई महोत्सव में शामिल फाग की धमक होली के मौके पर सैफई में देखने को मिलती है। साल 2009 में सैफई में फाग के दौरान फाग गायकों को पैसे बांटे जाने के बाद मुलायम के गांव की होली एकाएक और अधिक सुर्खियों में आ गई। उस समय संसदीय चुनाव की आचार संहिता लागू थी और मुलायम का गांव मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में आता है इसलिए चुनाव आयोग ने मुलायम की होली में पैसे बांटे जाने के मामले को लेकर आयोग ने नोटिस जारी कर दिया।

सैफई फाग समिति के अध्यक्ष और फाग गायक दशरथ सिंह यादव बताते हैं कि सैफई मे कपड़ा फाड़ होली का क्रेज आज से करीब 10 साल पहले तक काफी हुआ करता था। करीब 10 साल पहले लोगों के कपड़े फटने की वजह से खुद नेताजी ने ही कपड़ा फाड़ने पर रोक लगवा दी है, तब से लगातार रोक लगी हुई है। लेकिन वे यह बता पाने कि स्थिति में नहीं हैं कि यह कपडा फाड़ परंपरा की शुरुआत कब हुई और किसने की।

होली की उमंग का ब्रज में अलग ही अंदाज होता है। लट्ठमार होली, रसिया गीत और रंग के साथ फूलों की होली ब्रज में सर्वत्र दिखायी देती है। ढोलक मजीरा, हारमोनियम, चीमटा और खड़ताल की ध्वनि के मध्य फाग गाया जाता है। फाग विशेष तौर से इटावा, मैनपुरी, एटा, फीरोजाबाद, आगरा, मथुरा आदि जनपदों में होता है। सपा सुप्रीमो व्यस्तता के बाद भी फाग गायन के शौक को भूले नहीं और प्रतिवर्ष इसका होली और सैफई महोत्सव में आनंद उठाते हैं।

इटावा में अब से 20-25 साल पहले यादव बाहुल्य गांवों में फाग जम कर होती थी। बूढ़े-बड़ों और युवाओं में इसके प्रति न केवल लगाव था, बल्कि होली आने से पहले खेतों पर काम करते, हल चलाते और बुवाई-कटाई करते समय फाग गाने का अभ्यास करते थे, मगर अब इसका शौक कम ही है। अन्य लोकगीतों की तरह फाग गायन विधा भी विलुप्तता की ओर बढ़ने लगी।

देश की राजनीति में खास मुकाम कायम कर चुके मुलायम सिंह यादव अपनी युवा अवस्था से ही फाग गायन के शौकीन रहे। उनके गांव सैफई में फाग की जो टोलियां उठती थीं, उनमें वह शरीक होते थे। इसलिए राजनीति में ऊंचाई हासिल करने के बावजूद उन्होंने फाग गायन से मुंह नहीं मोड़ा बल्कि इस गायकी को प्रमुखता देने का बीड़ा उठाया।

अपने हमसंगी सैफई गांव के प्रधान दर्शन सिंह यादव के साथ मुलायम सिंह यादव फाग गाते थे। आज भी वह हर साल होली पर होने वाली फाग में न केवल शरीक होते हैं वरन घंटों फाग गायन सुनते और गाते हैं। फाग को भुला न दिया जाए इसके लिए हर साल सैफई महोत्सव में उनके निर्देश पर दो दिन तक फाग गायन का मुकाबला होता है। सैफई फाग समिति के अध्यक्ष और फाग गायक दशरथ सिंह यादव बताते हैं कि फाग विशुद्ध धार्मिक और आध्यात्मिक गायन है, जिसमें गीता, महाभारत, कृष्ण जीवन और रामायण से जुड़े प्रसंगों के भजनों का गायन होता है। यदि कहीं दो टोलियां फाग की होती है तो एक टोली भजन की लाइन गाती है, जबकि इसका जवाब दूसरी टोली देती है।