कई तरह के घोटालों के बाद अब पीएफ घोटाला सामने आया है। यह घोटाला लखनऊ नगर निगम से जुड़ी सफाई एजेंसियों ने किया है। इसमें लगभग दस हजार सफाई कर्मचारियों के पीएफ की रकम के साथ धोखाधड़ी की गई है। इस धोखाधड़ी में 64 करोड़ से ज्यादा की रकम घोटालेबाजों ने हड़प ली। हालांकि आशंका जताई जा रही है कि ठीक तरह से जांच हो यह रकम दो सौ करोड़ तक पहुंच सकती है। ऐसे में यह बेहद गंभीर मामला बन गया है।
लखनऊ में सफाई का काम करने के लिए करीब दस हजार कर्मचारी हैं। ये तीस एजेंसियों के माध्यम से रखे गए हैं। इन्हें महीने में कुल 9245 रुपए मानदेय दिए जाते हैं। इसके अतिरिक्त निगम हर कर्मचारी के लिए 13 फीसदी ईपीएफ और 3.25 फीसदी ईएसआईसी का भुगतान एजेंसियों को करता है। यह कुल मिलाकर 1502.31 रुपए होता है। दूसरी तरफ ये एजेंसियां भी अपने कर्मचारियों के लिए 12 फीसदी ईपीएफ और 0.75 फीसदी ईएसआईसी जमा करने के लिए उनके मानदेय में 1178 रुपए काटती हैं।
नगर निगम और एजेंसी दोनों का मिलाकर कुल 2680.31 रुपए प्रति माह प्रति कर्मचारी जमा होने चाहिए थे।
कर्मचारियों को मानदेय में से केवल 8067 रुपए ही मिलता है। इस तरह नगर निगम और एजेंसी दोनों का मिलाकर कुल 2680.31 रुपए कर्मचारियों के ईपीएफ खाते में जमा किया जाना चाहिए। लेकिन ये रुपए पिछले दो साल से जमा नहीं हुए। कहा जा रहा है कि एजेंसियों ने इस रकम को हड़प लीं। किसी भी कर्मचारी के ईपीएफ और ईएसआईसी के खाते में एक रुपए भी जमा नहीं हैं।
दस हजार कर्मचारियों की दो साल की यह रकम करीब 64.32 करोड़ होती है। दूसरी तरफ कर्मचारियों का मानना है कि रकम इससे कहीं ज्यादा है। रकम नहीं जमा होने से इस पर ब्याज भी नहीं बना। उनका कहना है कि यह घोटाला करीब दो सौ करोड़ का है।
सफाई एजेंसियों ने ईपीएफ और ईएसआईसी के नाम पर नगर निगम से हर महीने रकम ले ली, लेकिन उसको जमा नहीं किया। कहा जा रहा है कि अभी तक सफाई कर्मचारियों के खाते तक नहीं खोलवाए गए हैं। इसकी सूचना ईपीएफ के उच्चाधिकारियों को मिली तो मामले की जांच-पड़ताल शुरू हो गई। विभाग के अधिकारी स्वयं नगर-निगम पहुंचकर जांच में जुटे तो हड़कंप मच गया। अधिकारी फाइलों को पता लगाने और उनको खंगालने में जुटे हैं।