नए साल के उत्सव में बिहार से देवघर और वासुकीनाथ आकर लोग खूब झूमे। साल के अंतिम और शुरुआत के पहले रोज ये दोनों तीर्थ स्थान बिहारवासियों से गुलजार हो उठे। दिलचस्प बात कि इन देव स्थानों पर दो ही जगह जबर्दस्त भीड़ और लंबी कतार दिखी। शराब की दुकानों और बाबा मंदिर में। 17 साल पहले बिहार से अलग हुआ झारखंड इन दो दिनों में बिछड़े सगे भाइयों की तरह गले मिला। वाकई नजारा देखने लायक था। बिहार से उमड़ी भीड़ की वजह से देवघर और दुमका का जिला प्रशासन चाक चौबंद था। अमन चैन पसंद लोग घरों में ही दुबके रहे। बिहार में शराबबंदी के 33 महीने के दौरान कहीं पर खुलकर जश्न और शादी-ब्याह के मौके पर बारातियों को नागिन डांस करते कोई नजर नहीं आया। चोरी छिपे शराब बेचने और पीने के किस्से जरूर सुनने को मिले। लोग पकड़े भी गए। लोगों को पुलिसिया कार्रवाई भी भुगतनी पड़ी। इनमें पुलिस वाले भी गिरफ्त में आए।
एसएसपी आशीष भारती के मुताबिक सोमवार को ही दो दर्जन से ज्यादा शराबी पकड़े गए। इसी वजह से बिहार के झारखंड से लगे जिलों के शौकीन मिजाज के लोगों ने नए साल पर खुलकर जश्न मनाया। उनका चेहरा और चाल तो यही बयां कर रही थी। संवाददाता ने माहौल का जायजा लेने के लिए भागलपुर, बांका, वासुकीनाथ, दुमका और देवघर तक तकरीबन दो सौ किलोमीटर की यात्रा की। सावन के महीने में बिहार का सुलतानगंज से देवघर – वासुकीनाथ एक हो जाता है। उत्तरवाहिनी गंगा से कांवड़िए जल लेकर बाबा धाम पहुंच जलाभिषेक करते हैं। यह सिलसिला एक महीने चलता है। मगर दो रोज में हजारों की जुटी भीड़ तो सावन को भी मात दे गई। 31 दिसंबर की रात देवघर के टावर, वीआईपी बैजनाथपुर सरीखे चौक, सड़कों, होटलों, रेस्तरां में तिल रखने की जगह नहीं थी।
शराब में डूबे लोग मस्ती में रातभर झूमते नजर आएं। नए साल की सुबह लोग बाबा मंदिर में दर्शन करने की लंबी कतार में दिखे। फिर दिन में टुन्न। स्थानीय निवासी शोभन नरौने, अभिषेक शर्मा, संजय भारद्वाज बगैरह ने तो भीड़ देख बाबा मंदिर जाने से भी परहेज किया।
देवघर शहर के बाग बगीचे और तपोवन, नंदन पहाड़, त्रिकुटी पहाड़, जसीडीह का आरोग्य आश्रम, वासुकीनाथ धाम के आसपास के पर्यटक केंद्र पिकनिक स्पॉट में तब्दील नजर आए। दुमका के मसान जोड़ पर्यटक केंद्र के बनिस्बत तीर्थ स्थल पर ज्यादा भीड़ दिखी। असल में यहां मस्ती और पूजा दोनों हो गई। बिहार के नवगछिया से आए रमेश तांती व रामजी मंडल बताते है दोनों में सुकून मिला।
शराब दुकानों पर भीड़ उलटने का अंदाजा पहले से था। यों झारखंड सरकार ने बीते साल शराब बंदी की ओर एक कदम बढ़ाते हुए दुकानें पहले की तुलना में काफी कम आवंटित की थीं मगर मांग और घाटे की वजह से इस साल दुकान आवंटित करने में इजाफा कर दिया। अब देवघर में शराब की दुकानों की भरमार है, जहां कड़ाके की ठंड के बाबजूद लंबी कतार लगी थी। ऐसी मारामारी पहले कभी नहीं देखी। लोग शराब के लिए ऐसे उतावले थे कि लगा इसके बगैर नया साल आएगा ही नहीं। ऐसा नहीं कि सभी लोग बिहार से आए थे। देवघर के लोग भी उतावले थे।
बाबा वैद्यनाथ और वासुकीनाथ का दर्शन करने के मकसद से भी श्रद्धालु आए थे। इस मौसम में बंगाल से भी हरेक साल हुजूम आता है। देवघर के लोग इन्हें चेंजर बोलते हैं। मंदिर में दर्शनार्थियों की भीड़ होने की एक वजह यह भी है मगर बिहार से आए ज्यादातर भक्तों का मकसद दोहरा था, मस्ती और पूजा।
खैर जो हो इन पर निगाह और अनहोनी टालने के मकसद से देवघर प्रशासन अलर्ट था। गाड़ियों के काफिले को व्यवस्थित रखने के लिए चौक चौराहों पर नो इंट्री का बोर्ड लगाकर पुलिसवाले तैनात किए गए थे। पूजा में खलल न हो, कतार को काबू करने के लिए जगह-जगह लाठीधारी कांस्टेबल झुंड में मुस्तैद थे। पुलिस लगातार गश्त कर रही थी। इसी वजह से ठीकठाक तरीके से पुराना साल अलविदा हो गया और नए साल का खुशी-खुशी स्वागत हो सका।

