सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से महबूबा मुफ्ती को जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लेने के खिलाफ दायर उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती की नई याचिका पर जवाब मांगा है। मंगलवार (29 सितंबर, 2020) को कोर्ट ने पूछा कि महबूबा मुफ्ती को कब तक हिरासत में रखा जाएगा? किसी को हमेशा हिरासत में नहीं रखा जा सकता और कोई बीच का रास्ता निकाला जाना चाहिए।
देश की सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में जम्मू-कश्मीर प्रशासन को अपने रुख की जानकारी देने को कहा है। कोर्ट ने पूछा कि क्या उनकी हिरासत एक साल बढ़ाई जा सकती है। कोर्ट ने महबूबा की बेटी इल्तिजा मुफ्ती की संशोधित याचिका पर केंद्र से एक हफ्ते में जवाब भी मांगा है। सुनवाई के दौरान जस्टिस एस. के. कॉल और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती से राजनीतिक नेताओं को मिलने के लिए सामान्य अनुमति नहीं दी जा सकती है, लेकिन वह संबंधित अधिकारियों को आवेदन कर सकते हैं।
दरअसल इल्तिजा ने कोर्ट से उनकी मां को राजनीतिक गतिविधियां शुरू करने की इजाजत भी मांगी। उन्होंने कहा कि उनकी मां एक राजनीतिक पार्टी की अध्यक्ष हैं। इसलिए उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करने दिया जाए। उन्हें अपने लोगों, पार्टी के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और आम लोगों से मिलने-बातचीत करने की छूट दी जाए।
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सुनवाई के दौरान हालांकि कोर्ट ने इल्तिजा मुफ्ती और उनके चाचा को महबूबा मुफ्ती से हिरासत में मिलने की अनुमति दे दी। मामले में अब अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।
उल्लेखनीय है कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त करने और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभक्त करने के पिछले साल पांच अगस्त के सरकार के फैसले के पहले से हिरासत में रखा गया है।