शिवसेना सांसद संजय राउत का जेल से बाहर आना ईडी को रास नहीं आ रहा है। पात्रा चौल मामले में एजेंसी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर करके राउत की जमानत को रद्द कराने की गुहार लगाई थी, लेकिन हाईकोर्ट में जो कुछ हुआ उसमें ईडी को अपना पीछा छुड़ाना भारी पड़ गया। हाईकोर्ट ने पूछा कि मुख्य आरोपी को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है। पहले उसे तो पकड़िए। ईडी के पास अदालत के सवाल का कोई जवाब नहीं था।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने शनिवार को पात्रा चॉल मामले में मुख्य आरोपी को गिरफ्तार नहीं करने और शिवसेना सांसद संजय राउत की जमानत रद्द करने की मांग पर प्रवर्तन निदेशालय से सवाल किया। न्यायमूर्ति एन.आर बोरकार ने पूछा, “आप आरोपी को विचाराधीन कैदी के रूप में रखना चाहते हैं… और मुख्य आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर रहे हैं?”

संजय राउत और सहयोगी प्रवीण राउत को दी गई जमानत रद्द करने की मांग वाली ईडी की अर्जी पर कोर्ट सुनवाई कर रहा था। ईडी ने यह भी मांग की है कि उच्च न्यायालय निचली अदालत द्वारा जमानत आदेश में उसके खिलाफ की गई प्रतिकूल टिप्पणी को समाप्त करे। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने जवाब दिया कि दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जाना संजय राउत और प्रवीण राउत को जमानत देने का आधार नहीं हो सकता है।

संजय राउत के खिलाफ 2018 के बाद से ईडी का शिकंजा कसा। तब महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने PMLAके तहत एक केस दर्ज कराया था। ये केस राकेश कुमार वधावन, सारंग कुमार वधावन और अन्य के खिलाफ था। ईडी के मुताबिक जांच के दौरान सामने आया कि गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन को पात्रा चॉल को रिकंस्ट्रक्शन करने का काम मिला था। ये काम महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने उसे सौंपा था। इसके तहत कंस्ट्रक्शन कंपनी को पात्रा चॉल में 6 सौ से ज्यादा किरायेदारों के घरों को पुनर्विकसित करना था।

पात्रा चॉल मुंबई के गोरेगांव में बनी है। जिस जमीन पर ये फ्लैट रिडेवलप होने थे, उसका एरिया 47 एकड़ था। गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन ने महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी को गुमराह किया और बिना फ्लैट बनाए ही ये जमीन 9 बिल्डरों को बेच दी।