पटना हाईकोर्ट पति-पत्नी के बीच विवाद के मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि पति का अपनी पत्नी को भूत या पिशाच कहना क्रूरता नहीं है। इस मामले की सुनवाई ज‌स्टिस बिबेक चौधरी कर रहे थे। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि शादी-शुदा जिंदगी में ऐसी घटनाएं होती हैं जहां पति-पत्नी ऐसे शब्दों का उपयोग कर देते हैं। कोर्ट ने मामले में पति की याचिका को स्वीकार कर लिया और उसकी सजा को रद्द कर दिया है।

क्या था मामला?

इस मामले में एक पिता और पुत्र ने बिहार के नालंदा ज़िले की अदालत के एक आदेश को चुनौती दी थी। यह मामला 1994 दर्ज किया गया था। तब लड़की पक्ष ने पति और ससुर के खिलाफ दहेज में कार की मांग को लेकर दबाव बनाने और परेशान करने, पिटाई करने का मामला दर्ज किया था। बाद में पिता-पुत्र की प्रार्थना पर मामले को नवादा से नालंदा ट्रांसफर कर दिया गया था जिन्हें 2008 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा एक वर्ष के लिए कारावास की सजा सुनाई गई थी।

लड़की के वकील ने क्या कहा?

पटना हाईकोर्ट के सामने दायर याचिका का विरोध करते हुए तलाकशुदा महिला के वकील ने दलील दी कि 21वीं सदी में एक महिला को उसके ससुराल वालों द्वारा “भूत” और “पिशाच” कहा जाता था। अदालत ने कहा कि वह इस तरह के तर्क को स्वीकार नहीं कर सकती। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले क्रूरता के दायरे में नहीं आते।

अदालत ने यह भी कहा कि लड़की का परिवार यह साबित नहीं कर पाया कि उनसे मारुति की मांग की गई थी और ऐसे उनके साथ मारपीट की गई। कोर्ट ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया और आईपीसी की धारा 498ए और दहेज निषेध अधिनियम 1961 की धारा 4 के तहत एक पति की सजा को रद्द कर दिया।