राजस्‍थान की राजधानी जयपुर में स्थित एक अस्‍पताल की ओर से मरीजों का इलाज करने से पहले अजीबोगरीब जानकारी मांगने का मामला सामने आया है। दरअसल, सवाई मान सिंह अस्‍पताल (एसएमएस) के ओपीडी में पंजीकरण कराने के लिए मोबाइल एप्‍प की सुविधा भी उपलब्‍ध है, ताकि मरीजों या उनके परिजनों को लंबी-लंबी कतारों में लगना पड़े। पंजीकरण कराने वाले मरीजों को नाम और बीमारी के बारे में जानकारी के अलावा उपनाम और धर्म का ब्‍यौरा देना भी अनिवार्य कर दिया गया है। इससे मरीजों के धर्म के बारे में पता लगाया जा सकेगा। इस कदम का मरीजों को उनके धर्म के अनुसार श्रेणीबद्ध करना है, ताकि स्‍वास्‍थ्‍य विभाग किसी खास धर्म में किसी विशेष बीमारी के फैलने की स्थिति में त्‍वरित कदम उठा सके। ‘डीएनए’ के अनुसार, अस्‍पताल के अधिकारियों ने बताया कि यह कदम मरीजों के ब्‍यौरे का डिजिटल और केंद्रीकृत रिकॉर्ड तैयार करने की दिशा में उठाया गया है। आलोचना होने पर अस्‍पताल प्रबंधन ने इस कदम का बचाव किया है।

एसएमएस अस्‍पताल के चिकित्‍सा अधीक्षक डॉक्‍टर डीएस. मीणा ने इसका पुरजोर बचाव किया है। उन्‍होंने कहा, ‘कुछ ऐसी बीमारियां हैं जो किसी खास धर्म के लोगों में आमतौर पर पाई जाती हैं। दूसरी तरफ, कुछ ऐसी भी बीमारियां हैं जो विशेष समुदाय या धर्म में बहुत कम पाई जाती हैं। मेडिकल साइंस में किसी भी रोगी के धर्म के बारे में जानकारी जुटाना एक आम प्रक्रिया है।’ बता दें कि अस्‍पताल प्रबंधन ने ओपीडी में पंजीकरण कराने के लिए 26 जनवरी को मोबाइल एप्‍प लांच किया था। इसके जरिये अब तक 2,153 मरीज पंजीकरण करा चुके हैं। सवाई मान सिंह अस्‍पताल में ऑनलाइन पंजीकरण के जरिये भी रजिस्‍ट्रेशन कराया जा सकता है। इसके माध्‍यम से अब तक चार हजार से ज्‍यादा लोग पंजीकरण करा चुके हैं। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्‍टर यूएस. अग्रवाल ने बताया कि आमतौर पर मरीजों से उनके धर्म के बारे में पूछा जाता है। यह नियमित प्रक्रिया है। उन्‍होंने मेडिकल साइंस का हवाला देते हुए कहा कि मरीजों के लिंग, जातीय स्थिति और धर्म के बारे में जानकारी हासिल करने से उनमें पाई जाने वाली आम बीमारियों पर शोध करने में मदद‍ मिलती है। बता दें कि देश के कई अस्‍पतालों में ऑनलाइन पंजीकरण कराने की सुविधा मुहैया कराई जाती है, ताकि काउंटर पर भीड़ कम हो सके।