महाराष्‍ट्र के पालघर में गुरुवार रात भीड़ ने अफवाह के चलते दो साधुओं समेत 3 लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी। यह घटना तब हुई जब साधु एक कार में मुंबई से सूरत जा रहे थे। आदिवासी गांव गड़चिनचले में ग्रामीणों के एक समूह ने साधुओं की कार को रोका और उन पर पत्थर, लाठी और कुल्हाड़ियों से हमला किया। यह पूरी घटना वहां मौजूद कुछ पुलिसकर्मियों के सामने हुई। इस घटना से नेताओं से लेकर साधु-संत ताक सभी बेहद नाराज़ हैं। इसपर कांग्रेस उम्‍मीदवार के तौर पर लखनऊ से चुनाव लड़ चुके संत आचार्य प्रमोद ने भी नाराजगी जताई है और वहां मौजूद पुलिस वालों को फांसी देने की बात कही है।

आचार्य प्रमोद ने ट्वीट कर लिखा “उद्धव के राज में “साधु” की हत्या, वो भी पुलिस की उपस्तिथि में, इन बुझदिल और “कायर” पुलिस वालों को भी फाँसी पे लटकाया जाय जिन्होंने अपने “फ़र्ज़” और “वर्दी” को कलंकित कर दिया।” आचार्य के अलावा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इसे लेकर एक ट्वीट किया है। चौहान ने लिखा ” हृदय छलनी है! मन बहुत भारी है! ॐ शांति।”

इस घटना के मद्देनजर तीन पुलिसकर्मियों को कर्तव्य के निर्वहन में कथित रूप से लापरवाही बरतने के सिलसिले में सोमवार को निलंबित कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि यह घटना उस समय हुई थी, जब बृहस्पतिवार रात तीन व्यक्ति मुंबई के कांदीवली से कार में सवार होकर गुजरात के सूरत जा रहे थे। इसी दौरान, पालघर जिले में भीड़ ने उन्हें बच्चा चोर और मानव अंगों की तस्करी करने वाले समझकर उनका वाहन रोक लिया और उनकी पीट-पीट कर हत्या कर दी।

पालघर के कलक्टर डॉ कैलास शिंदे ने पहले कहा था कि घटना के दिन पुलिस की भूमिका की जांच की जा रही है और इस बात की भी जांच की जा रही है कि बंद के दौरान तीन लोग मुंबई से कैसे आ गए। पुलिस के एक सूत्र ने बताया कि पालघर से पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह ने जांच के बाद कासा पुलिस थाने के सहायक पुलिस निरीक्षक आनंदराव काले और उप-निरीक्षक सुधीर कटारे को कर्तव्य के निवर्हन में लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया।

एक पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि कासा पुलिस थाने में इस घटना के संबंध में तीन प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं और 101 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जो 30 अप्रैल तक पुलिस की हिरासत में हैं। प्रवक्ता ने बताया कि नौ नाबालिगों को भी हिरासत में लिया गया है और ठाणे जिले के भिवंडी में हिरासत गृह में भेज दिया गया है।