अनामिका सिंह
दिल्ली के प्रगति मैदान में भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले (ट्रेड फेयर) में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित कलाकार अपनी कला का सजीव प्रदर्शन कर रहे हैं जोकि दर्शकों को खासा आकर्षित कर रही है। जैसे ही लोगों को इन कलाकारों के पद्मश्री होने का पता चल रहा है तो वो इनके साथ फोटो व सेल्फी लेने लगते हैं। साथ ही इनकी कला के बारे में जानकारी भी जुटाते हैं।
बता दें कि व्यापार मेले के पार्टनर राज्य बिहार पवेलियन में बिहार के मधुबनी जितवारपुर की मिथिला पेंटिंग की विश्वप्रसिद्ध कलाकार 80 वर्षीय पद्मश्री बउआ देवी अपनी मिथिला पेंटिंग का सजीव प्रदर्शन कर रही हैं जिसमें वो भगवान विष्णु के मत्सावतार को कागज के कैनवास पर बना रही हैं। जबकि मधुबनी की राज्यस्तरीय पुरस्कार से सम्मानित सिकी कलाकार नाजदा खातून अपनी कला का सजीव प्रदर्शन करते हुए इंडिया गेट बना रही हैं जो लोगों को काफी पसंद आ रहा है।
गांधी, चरखा व चंद्रयान बने सेल्फी पाइंट
व्यापार मेले के हाल नंबर 3 में खादी पवेलियन में महात्मा गांधी की मूर्ति और विभिन्न राज्यों जैसे गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व बिहार के परंपरागत चरखों के साथ ही चंद्रयान का होर्डिंग सेल्फी पाइंट बन गए हैं। खादी अध्यक्ष मनोज कुमार ने बताया कि यहां आपको मंदिर के बासी फूलों का पुनर्चक्रण कर उससे बनने वाली अगरबत्ती मिल जाएगी। जिसे गुरुग्राम के करीब 25-30 मंदिरों से रोजाना दो से तीन क्विंटल फूलों को एकत्र कर सुखाकर, मुल्तानी मिट्टी मिलाकर तैयार किया जा रहा है।
उत्तराखंड के बिच्छू घास के लड्डू से कई बीमारियों से मिलेगी निजात
हाल नंबर 7 में सरस मेले में जहां लखपति दीदीयां यानी श्रमजीवी चर्चा का विषय बनी हुईं हैं। जिनके बारे में ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव शैलेश कुमार सिंह ने बताया कि किस तरह कम लागत में आज ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं लाखों का व्यापार कर रही हैं। वहीं, दूसरी ओर सरस का आकर्षण बिच्छू घास के बने लड्डू हैं। उत्तराखंड के इस बिच्छू घास के लड्डू दर्द, लकवा, खून की कमी, पेशाब संबंधी समस्याओं सहित कई रोगों में कारगर है। वहीं, गोवा के पारंपरिक कुनबी कपड़े से बना गुलदान भी काफी पसंद किया जा रहा है।
झारखंड पवेलियन में मिलेगी आदिवासी चुरल साड़ी
झारखंड पवेलियन में लगे आदिवासी परिधान लोगो को खूब पसंद आ रहे हैं। खासकर तसर सिल्क की साड़ियां व सूट को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। इनकी कीमत भी 1000 से 3500 रुपए के बीच है। इसके अलावा आदिवासी साड़ी जिसे पिनदना साड़ी या चुरल साड़ी कहते हैं काफी पसंद की जा रही हैं। इसके अलावा वीरू गमछा, कुखना शाल से बने आधुनिक परिधान भी खूब बिक रहे हैं।