हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से एक ही दिन में आठ लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के चलते दिल्ली के बाद अब मथुरा-वृंदावन में खतरा बढ़ गया है। उफान पर बह रही यमुना नदी से बाढ़ आने का खतरा पैदा हो गया, जिसके चलते जिले के 175 गांव खतरे की जद में आ गए हैं। जिला प्रशासन ने आसन्न संकट से निपटने के लिए सभी ऐहतियाती इंतजाम करने शुरू कर दिए हैं।

गौरतलब है कि पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बरसात के बाद सोमवार (19 अगस्त) को हथिनीकुंड बैराज से 8.28 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, इसके चलते यमुना किनारे बसे कम से कम 67 गांव इसकी चपेट में आ सकते हैं। इनके बाद भी कम से कम 100 से अधिक गांव ऐसे हैं जहां पानी तबाही मचा सकता है।

यूं शुरू हुई राहत कार्यों की तैयारियांः जिला प्रशासन ने बाढ़ की आशंका वाले सभी 175 गांवों में बचाव और राहत कार्यों की तैयारियां पहले से ही शुरु कर दी हैं। इनमें से 67 गांवों के लोगों को यमुना का जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंचने से पहले ही अपने मवेशी और कीमती सामान लेकर ऊंचाई वाले स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है।

इन गांवों को है खतराः जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र ने मीडिया से बातचीत में बताया, ‘यमुना किनारे बसे मथुरा के सभी 67 गांवों में मुनादी पिटवाने का काम शुरू करा दिया है। लोगों को गांव छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए तैयार रहने के लिए कहा जा रहा है। इनमें मांट और महावन तहसील के 21-21, सदर तहसील के 20 और छाता के पांच गांव शामिल हैं। जबकि गोवर्धन तहसील इस संकट से दूर है।’

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पुलिस को भी किया सतर्कः आपदा एवं राहत कार्यों के प्रभारी अधिकारी, अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) ब्रजेश कुमार ने बताया कि पशुपालन अधिकारी और मुख्य चिकित्साधिकारी को अभी से सभी प्रकार की तैयारियां करने के निर्देश दिए गए हैं। तहसील कर्मचारी और क्षेत्रीय पुलिस बल लोगों को सतर्क करने में जुट गए हैं। यमुना किनारे की सभी 31 बाढ़ चौकियों को भी सक्रिय कर दिया गया है। यहां तैनात कर्मचारी यमुना पर नजर रखे हुए हैं।’

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