भागलपुर के सरकारी सदर अस्पताल में चिकित्सा से जुड़े अफसरों का मरीजों के प्रति रवैया बेहद हैरानीभरा और भेदभावपूर्ण है। इसका नजारा ‘जीविका दीदी संचालित रसोई’ के उद्घाटन में साफ दिखा। घटना का वीडियो वायरल हुआ तो डीएम सिविल सर्जन डॉ.उमेश शर्मा समेत कई अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लेने को विवश हो गए।

हाल ही में सदर अस्पताल में सीएम नीतीश कुमार ने ‘जीविका दीदी संचालित रसोई’ का उद्घाटन किया था। इस रसोई को सफल बनाने के लिए अफसरों ने पूरी ताकत झोंक दी थी। कई वरिष्ठ अफसर कार्यक्रम में मौजूद रहे। आयोजन के दौरान जीविका दीदी की रसोई में बने भोजन मरीजों को परोसा गया। मगर उनको पूड़ी-सब्जी खिलाई गई, जबकि मौके पर मौजूद अधिकारियों ने खीर-पूड़ी का लुत्फ उठाया। खाने में यह भेदभाव कई लोगों को चुभी। खीर-पूड़ी खाते तीनों अफसरों की फोटो वायरल हुई तो हड़कंप मच गया। ज़िलाधीश सुब्रत कुमार सेन ने शुक्रवार को सिविल सर्जन डॉ.उमेश शर्मा, स्वास्थ्य प्रबंधक और जीविका के ज़िला प्रबंधक से जबाव-तलब किया है। इस दौरान कई और अधिकारी और कर्मचारी भी साथ में थे। उनकी भी पहचान कराई जा रही है।

जिलाधीश ने उनसे तीन दिनों के अंदर जवाब देने को कहा है। उनसे पूछा गया है कि जब मरीजों को पूड़ी सब्जी दी गई तो आप लोगों ने वही चीजें क्यों नहीं खाई। अगर आप लोगों ने खीर-पूड़ी खाई तो मरीजों को खीर-पूड़ी क्यों नहीं दी। इस तरह का भेदभाव क्यों किया।

सच तो यह है कि ‘जीविका दीदी की रसोई’ के सफल उद्घाटन से अति उत्साहित अधिकारियों ने जश्न के तौर पर अपने लिए खीर-पूड़ी बनवाई थी और मरीजों के लिए पूड़ी-सब्जी बनवाई। दो तरह के भोजन यानी रसोई में भी भेदभाव अधिकारियों को महंगा पड़ गया। अब अफसरों को इसका जवाब देते नहीं बन रहा है।

इधर, सिविल सर्जन अस्पताल का जायजा लेने के लिए गुरुवार को सदर अस्पताल का मुआयना किया तो इस दौरान कई डाक्टर और नर्स ड्यूटी से नदारद मिले। सिविल सर्जन ने गायब डाक्टरों और नर्सों को पत्र लिख उनसे भी कैफियत पूछी। कैफियत दर कैफियत पूछी जा रही है। देखना है इन कैफियत का क्या हश्र होता है। बहरहाल खीर-पूड़ी खाना चर्चा का विषय बना हुआ है।