ओडिशा में बीजेपी पहली बार सत्ता में आई है। अब वह पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के गढ़ में सेंधमारी का प्रयास कर रही है। ओडिशा में भाजपा सरकार ने महिलाओं के उद्देश्य से दो फैसले लिए हैं। बीजेपी का उद्देश्य बीजू जनता दल (BJD) के मूल समर्थन आधार को तोड़ने और महिलाओं का वोट बैंक बनाने के इरादे का संकेत देते हैं। सबसे पहले 15 अगस्त को सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में कामकाजी महिलाओं के लिए एक दिन की मेंस्ट्रुअल लीव की घोषणा की गई। मेंस्ट्रुअल लीव को लागू करने वाला ओडिशा तीसरा राज्य बन गया है। इसके बाद 22 अगस्त को सरकार ने बहुप्रचारित सुभद्रा योजना के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) की घोषणा की। बीजेपी का ये वादा चुनाव के दौरान महिला मतदाताओं के बीच काफी चर्चित था।
महिलाओं को सुभद्रा योजना के जरिए मिलेंगे 50,000 रुपये
भाजपा ने अपने घोषणापत्र में इस योजना के तहत सभी महिलाओं को 50,000 रुपये का वाउचर देने का वादा किया था, जिसे दो साल में भुनाया जा सकता है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने शुक्रवार को कहा कि 10,000 रुपये का भुगतान सालाना किया जाएगा। रक्षा बंधन और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 5-5 हजार रुपये का भुगतान किया जाएगा। सीएम माझी ने कहा कि सरकार की इस योजना के तहत एक करोड़ से अधिक महिलाओं को कवर किया जाएगा। इसका अनुमानित बजट पांच साल में 55,825 करोड़ रुपये है।
बीजेपी सरकार ने मिशन शक्ति कार्यक्रम को भी कम महत्व दिया, जिसे पिछले BJD सरकार के दौरान सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई थी और इससे उसे ग्रामीण महिलाओं के बीच लोकप्रियता हासिल हुई थी। मिशन शक्ति को 2001 में लॉन्च किया गया था। इस योजना ने लगभग 70 लाख ग्रामीण महिलाओं को 6 लाख स्वयं सहायता समूहों (SHG) के हिस्से के रूप में संगठित किया।
एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “विशेष रूप से ग्रामीण ओडिशा में महिलाओं का समर्थन 2000 और 2024 के बीच बीजेडी की चुनावी सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण था। हम सुभद्रा के वादे के साथ महिला मतदाताओं का समर्थन पाने में कामयाब रहे। इस योजना को लागू करना सरकार की प्राथमिकता थी। सुभद्रा योजना के माध्यम से भाजपा सरकार महिलाओं के बीच अपना स्वयं का समर्थन आधार तैयार करेगी।”
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि महिला मतदाताओं ने विधानसभा चुनाव की जीत में बहुत बड़ी भूमिका निभाई और इससे उसका वोट शेयर 8 प्रतिशत बढ़ गया। 2019 में बीजेपी का वोट शेयर 32.8% था, जो अब बढ़कर 40.07% हो गया।
बता दें कि देवी सुभद्रा ओडिशा के सबसे प्रतिष्ठित देवता भगवान जगन्नाथ की छोटी बहन हैं, जहां 90% से अधिक आबादी हिंदू है। एक वरिष्ठ नौकरशाह ने कहा, “योजना का नामकरण और रक्षा बंधन पर नकद सहायता जारी करने का उद्देश्य महिलाओं के साथ भावनात्मक जुड़ाव पैदा करना है।”
बीजेडी के मिशन शक्ति को कम महत्व देने पर भाजपा नेताओं ने कहा कि पटनायक की पार्टी महिलाओं को सिर्फ वोट बैंक के रूप में देखती थी। जबकि बीजेपी 25 लाख लखपति दीदी बनाकर महिलाओं को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगी। भाजपा सरकार ने कहा कि वह प्रत्येक 500 स्वयं सहायता समूहों के लिए औद्योगिक क्लस्टर बनाएगी।
धोखाधड़ी है सुभद्रा योजना- नवीन पटनायक
वहीं बीजेडी अध्यक्ष और पूर्व सीएम नवीन पटनायक ने सुभद्रा योजना को धोखाधड़ी कहा है। उन्होंने कहा, “भाजपा ने प्रत्येक महिला को 50,000 रुपये देने की गारंटी दी थी। चुनाव के दौरान उन्होंने 50,000 रुपये देने की बात कही थी, लेकिन वे केवल 5,000 रुपये ही दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी महिलाओं को यह मिलेगा लेकिन तीन में से केवल एक को ही यह लाभ मिलेगा। क्या यह माताओं को भाजपा की गारंटी है?”
नवीन पटनायक ने कहा कि ओडिशा की कुल 4.5 करोड़ महिलाओं में से लगभग 2.25 करोड़ महिलाओं को इस योजना के तहत कवर किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन केवल 70 लाख महिलाओं को कवर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हर छह महीने में 5,000 रुपये जो महीने में लगभग 800 रुपये के बराबर होते हैं। पूर्व सीएम ने यह भी दावा किया कि भाजपा सरकार ने सुभद्रा और अन्य गारंटी को लागू करने के लिए लगभग 50,000 करोड़ रुपये उधार लिए। उन्होंने कहा, “यह हम सभी पर कर्ज का बोझ है। हमारी माताओं-बहनों को इसे ब्याज सहित चुकाना पड़ता है। क्या इससे महिला सशक्तिकरण संभव होगा?”
यह दावा करते हुए कि बीजद अपने महिला वोट बैंक को बरकरार रखने में कामयाब रही है, क्योंकि उसने विधानसभा चुनावों में 40.22% का उच्चतम वोट शेयर हासिल किया है, पार्टी सूत्रों ने कहा कि वह भाजपा के “गेम प्लान” के बारे में महिलाओं के बीच जागरूकता पैदा करेगी।
कांग्रेस ने साधा निशाना
कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर सुभद्रा घोषणा के जरिए महिलाओं की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया। कांग्रेस विधायक सोफिया फिरदौस ने कहा कि सरकार के पास महिलाओं के लिए कोई दृष्टिकोण नहीं है। उन्होंने कहा, “आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी और पचिका (जो स्कूलों में मिड डे मील पकाती हैं) जैसी कई महिलाओं को कवर नहीं किया जाएगा। मात्र 833 रुपये प्रति माह के साथ सरकार किस तरह की महिला सशक्तिकरण की योजना बना रही है?”