दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार की ओर से निजी स्कूलों को 25 दिसंबर से 15 जनवरी तक बंद करने के आदेश की दिल्ली स्टेट निजी स्कूल्स मैनेजमेंट एसोसिएशन ने निंदा की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन ने शनिवार को एक बयान जारी कर इस आदेश को अव्यावहारिक बताया। उन्होंने बताया कि निजी स्कूल पूरे साल का शिक्षा का कैलेंडर बनाकर बच्चों को सत्र के शुरू में ही दे देते हैं।
इसके मुताबिक पूरे शिक्षा सत्र का संचालन उसी प्रकार से होता है। निजी स्कूलों को सिर्फ इसलिए बंद कर देना कि दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक जनवरी से 15 जनवरी तक निजी स्कूलों को भी बंद करना अनुचित है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में लगभग 4400 स्वपोषित निजी स्कूल चलते हैं। इनमें से करीब 200 स्कूलों में से ही बसें उपलब्ध हो सकती हैं। ऐसे में बाकी 4200 स्कूलों की भी छुट्टी करने की योजना पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए।
संस्था के सचिव रवि शर्मा ने बताया कि इस बारे में पत्र सरकार को लिखा जा चुका है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से अचानक छूट्टी घोषित होने से निजी स्कूलों का बच्चों का कोर्स पूरा नहीं हो पाता है। इससे पहले भी कई अवसरों पर निजी स्कूलों में अचानक अवकाश की घोषणा सरकार कर चुकी है।
निजी स्कूलों के ल्एि 220 दिन की स्कूल चलाने की शिक्षा दिवस की बाध्यता मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून 2009 के अनुसार है। इस स्थिति में इस प्रकार से अचानक 20 दिन की छुट्टी करने से स्कूलों के सामने कोर्स पूरा करने की समस्या खड़ी होना स्वाभाविक है। वैसे भी एक जनवरी से नए शिक्षा-सत्र के लिए नर्सरी दाखिला प्रक्रिया शुरू होने से भी स्कूलों में काफी दबाव रहेगा जो पहले सितंबर-अक्तूबर में रहता था। इसके साथ ही प्री बोर्ड का दबाव भी बना रहता है।

