एक महीने से अपनी मजदूरी का इंतजार कर रहे मनरेगा श्रमिकों को तब झटका लगा जब बकाए के मुकाबले चौथाई रकम स्टेट पूल में डाली गई। पेमेंट करवाने की ऐसी हाय तौबा मची कि वेबसाइट ही क्रैश हो गई और पेमेंट फेल बताने लगा। इस गहमा गहमी में कुछ खुशकिस्मत रहे और भुगतान उनके बैंक खातों में पहुंच गया।
जैसे ही खबर मिली कि मनरेगा श्रमिकों के लंबित भुगतान करने को स्टेट पूल में 288 करोड़ की रकम डाली गई है। भुगतान की कोशिशें शुरू हो गई और बीडीओ ने अपने अपने डोंगल लगाने शुरू कर दिए। वेबसाइट पर इतना लोड पड़ा कि वेबसाइट ने पेमेंट रिजेक्ट करने शरू कर दिए। हालांकि इस बीच कई ब्लाकों के बकाया भुगतान करवा भी लिए गए। तकरीबन एक माह से मनरेगा स्टेट पूल में बजट न होने के चलते श्रमिकों और सामग्री अंश का भुगतान नहीं हो पा रहा था। जिले में ही श्रमिकों का बकाया 20 करोड़ 52 लाख तक का हो गया था।
सामग्री अंश का बकाया भी बढ़ते-बढ़ते तीन करोड़ 97 लाख तक पहुंच गया था। बहरहाल मनरेगा से जुड़े जिम्मेदारों का कहना है कि अभी भी स्टेट लेवल पर कुल बकाएदारी 891 करोड़ की हो चुकी है। इसके आगे स्टेट पूल में डाली गई 288 करोड़ की धनराशि काफी कम है। डीसी मनरेगा राजनाथा प्रसाद भगत का कहना है कि स्टेट पूल में मनरेगा श्रमिकों के बकाए के लिए कुछ धनराशि आई है। सभी बीडीओ श्रमिकों का भुगतान करवाने की कोशिश कर रहे हैं। लोड इतना अधिक है कि भुगतान रिजेक्ट हो रहा है।
आत्मदाह की धमकी पर छावनी बना कलेक्ट्रेट कार्यालय : परिषदीय विद्यालयों में संविदा पर तैनात अनुदेशकों ने नियमितीकरण न होने पर शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में आत्मदाह करने की धमकी को लेकर परिसर छावनी में तब्दील रहा। वहीं बीएसए कार्यालय पर भी पुलिस बल तैनात रहा। सख्ती के चलते एक भी अनुदेशक नजर नहीं आया। परिषदीय विद्यालयों में जूनियर हाईस्कूल में अनुदेशकों को संविदा पद पर तैनात किया गया था। संविदा में तैनात अनुदेशक नियमितीकरण की मांग को लेकर लखनऊ में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मगर वहां पर उनकी मांगों की सुनवाई नहीं हो रही है। इस पर समिति के पदाधिकारियों ने एक अप्रैल को जिला मुख्यालयों पर आात्मदाह करने की चेतावनी दी थी।